Thursday, July 10, 2025

ज़मीर अहमद खान ने आवास रिश्वत विवाद में दोषी पाए जाने पर इस्तीफ़ा देने की पेशकश की

कर्नाटक के आवास मंत्री बी. ज़ेड. ज़मीर अहमद खान ने मंगलवार को कहा कि अगर राजीव गांधी आवास निगम लिमिटेड के तहत घरों के आवंटन में किसी प्रकार की अनियमितता या रिश्वतखोरी में उनका कोई रोल साबित होता है, तो वे तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।

यह बयान उस वक्त आया जब पिछले सप्ताह एक ऑडियो क्लिप लीक हुई, जिसमें कांग्रेस विधायक बी. आर. पाटिल — जो कर्नाटक राज्य नीति और योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी हैं — ने आरोप लगाया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र अलंद में आवास इकाइयाँ रिश्वत लेकर मंज़ूर की गईं। उन्होंने दावा किया कि करीब 950 घर एक पंचायत सदस्य की सिफारिश पर आवंटित किए गए, जबकि उनकी ओर से दी गई लाभार्थियों की सूची को नज़रअंदाज़ कर दिया गया।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ज़मीर अहमद खान ने पाटिल से स्पष्टता की मांग की कि आखिर रिश्वत किसने ली — क्या पंचायत सदस्य, कोई अधिकारी या खुद मंत्री? उन्होंने कहा कि इन आरोपों में उनका नाम सीधे तौर पर नहीं लिया गया है और वह जांच के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

खान ने कहा, “अगर किसी ने पैसे लिए हैं, तो उसकी जांच होनी चाहिए और सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। विभागीय जांच पहले से ही चल रही है और मैं केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने के लिए भी तैयार हूं।” उन्होंने आगे कहा कि अलंद में आवास आवंटन पंचायत की सिफारिश के आधार पर ही हुआ है।

उन्होंने पाटिल से मांग की कि वे उन लोगों का नाम उजागर करें जिन्होंने गरीबों से पैसे लिए। “अगर सरकार की तरफ से ₹1.2 लाख का योगदान है, तो क्या ₹5,000 से ₹10,000 की रिश्वत लेना संभव है? गरीबों से इस तरह की योजनाओं में रिश्वत लेने का कोई सवाल ही नहीं उठता,” खान ने कहा।

इस बीच, कांग्रेस विधायक बेलूर गोपालकृष्ण ने सुझाव दिया कि विवाद के चलते खान को इस्तीफा दे देना चाहिए। इसके जवाब में मंत्री ने कहा, “अगर यह साबित होता है कि मैं इस मामले में शामिल हूं, तो मैं खुद इस्तीफा दे दूंगा। इसके लिए किसी को कहने की ज़रूरत नहीं है।”

जब पत्रकारों ने खान की टिप्पणी पर बी. आर. पाटिल से प्रतिक्रिया मांगी, तो उन्होंने कहा, “मैंने उनकी टिप्पणी नहीं सुनी है, इसलिए मैं कुछ नहीं कह सकता।”

इस विवाद के बाद विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस सरकार पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी. वाई. विजयेंद्र ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत से हस्तक्षेप की मांग की और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया एवं मंत्री ज़मीर अहमद खान दोनों से इस्तीफे की मांग की।

विजयेंद्र ने कहा, “बी. आर. पाटिल ने कहा है कि आवास विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है और आम लोगों को तब तक घर नहीं मिलते जब तक वे रिश्वत न दें।”

उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ विधायक राजू कागे ने इस बात पर नाराज़गी जताई है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्धारित अनुदान तब तक जारी नहीं किया गया, जब तक कि ‘कमीशन’ नहीं दिया गया। बेलगावी ज़िले के ऐनापुर गांव में मीडिया से बातचीत करते हुए कागे ने कहा कि मुख्यमंत्री के विशेष अनुदान के तहत ₹25 करोड़ स्वीकृत किए गए थे, लेकिन काम में कोई प्रगति नहीं हुई। उन्होंने कहा, “व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है और मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा अगर मैं दो दिन में इस्तीफा दे दूं।”

विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेतृत्व मंत्रियों पर पैसे इकट्ठा करने का दबाव डाल रहा है। उन्होंने कहा, “कर्नाटक कांग्रेस अब आलाकमान के लिए ‘एटीएम’ बन गई है। मंत्री भारी दबाव में हैं कि वे अपने केंद्रीय नेतृत्व की मांगों को पूरा करने के लिए पैसे इकट्ठा करें, जिससे हर विभाग में भ्रष्टाचार फैल रहा है।”

उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री को सिर्फ ज़मीर अहमद खान का इस्तीफा नहीं मांगना चाहिए, बल्कि खुद भी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कदम उठाना चाहिए। “राज्यपाल को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। प्रशासन पंगु हो गया है, जनता भ्रष्टाचार से परेशान है और खुद कांग्रेस विधायक अपनी सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं। मैं राज्यपाल से अपील करता हूं कि वे हस्तक्षेप करें।”

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