Thursday, July 10, 2025

जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ FIR के बाद आंध्र प्रदेश में मचा राजनीतिक घमासान

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और YSR कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के अध्यक्ष वाईएस जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ FIR दर्ज होने के बाद राज्य में बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है। यह विवाद 18 जून को उस समय शुरू हुआ, जब पलनाडु जिले के रेंटापाला गांव में जगन की कार की चपेट में आने से 70 वर्षीय व्यक्ति, चीली सिंगैया की मौत हो गई। जगन वहां एक पार्टी नेता के परिवार से मिलने गए थे, जिनकी पिछले वर्ष आत्महत्या हो गई थी।

इस हादसे के बाद से राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। आंध्र प्रदेश की गृह मंत्री वंगालापुडी अनिता ने सोमवार को आरोप लगाया कि दुर्घटना के बाद YSRCP कार्यकर्ताओं ने मृतक सिंगैया के शव को घसीटते हुए झाड़ियों में फेंक दिया, जो कि बेहद अमानवीय कृत्य था।

गुंटूर जिले की पुलिस ने इस घटना के सिलसिले में वाईएस जगन मोहन रेड्डी, उनके ड्राइवर रमना रेड्डी, निजी सहायक नागेश्वर रेड्डी और दो अन्य पार्टी नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह मामला नल्लापडु पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में आने वाले इटुकुरु बाईपास रोड पर हुई दुर्घटना से जुड़ा है। मृतक की पत्नी चीली लुरधु मैरी की शिकायत पर शुरुआत में भारतीय न्याय संहिता की धारा 106(1) (लापरवाही से मृत्यु) के तहत केस दर्ज किया गया था।

लेकिन, जब विभिन्न CCTV फुटेज, ड्रोन विजुअल्स, वीडियो क्लिप्स और चश्मदीद गवाहों के बयान सामने आए, तो पुलिस ने गंभीरता से जांच करते हुए धाराओं को बदल दिया। अब केस भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या जो हत्या के बराबर नहीं) और धारा 49 (उकसाने) के तहत दर्ज किया गया है।

जांच से जुड़े एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जगन के ड्राइवर रमना रेड्डी को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। साथ ही, पुलिस ने जगन के मुख्य सुरक्षा अधिकारी और अन्य सुरक्षाकर्मियों से भी पूछताछ की है ताकि हादसे के समय की वास्तविक स्थिति को समझा जा सके।

गृह मंत्री अनिता ने बताया कि जगन को उनके पालनाडु दौरे के लिए सरकार की ओर से जेड+ सुरक्षा प्रदान की गई थी और उन्हें चार कारों तक सीमित काफिले की अनुमति थी। लेकिन इसके बावजूद जगन ने अनुमति का उल्लंघन करते हुए 100 से अधिक वाहनों के साथ रोड शो किया। साथ ही, जहां सिर्फ 100 लोगों को इकट्ठा होने की अनुमति थी, वहां हजारों लोगों की भीड़ जुटाई गई।

मंत्री अनिता ने आरोप लगाया कि जब सिंगैया कार के नीचे आ गए, तो YSRCP के कार्यकर्ताओं ने उन्हें घसीटकर झाड़ियों में फेंक दिया। पुलिस को सूचना मिलने पर सिंगैया को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

उन्होंने कहा कि वीडियो फुटेज में यह भी साफ दिखता है कि कई लोग चालक और यात्रियों को गाड़ी रोकने के लिए कह रहे थे, लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। यह हादसे के बाद संवेदनशीलता की कमी और लापरवाही का प्रमाण है।

जगन मोहन रेड्डी ने इस मामले को लेकर राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। x (पूर्व में ट्विटर) पर जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि रेंटापाला गांव के उनके दौरे को लेकर राज्य सरकार ने जानबूझकर प्रतिबंध लगाए और यह जानना चाहा कि उन्हें अपने ही पार्टी कार्यकर्ता के परिवार से मिलने या आम नागरिकों के साथ एकजुटता दिखाने से क्यों रोका गया।

उन्होंने कहा कि यह घटना मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली सरकार की प्रतिशोध की राजनीति का उदाहरण है, जो अब न सिर्फ लोकतंत्र बल्कि बुनियादी शालीनता को भी खतरे में डाल रही है।

जगन ने यह भी कहा कि जेड+ सुरक्षा कोई उपकार नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री के नाते उनका अधिकार है, जैसा कि पहले चंद्रबाबू नायडू को मिला था। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने अपने दौरे की सूचना पहले से प्रशासन को दी थी और सभी नियमों का पालन किया था, लेकिन सरकार ने आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था नहीं की।

उन्होंने सवाल उठाया कि अगर जेड+ सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू था, तो पायलट वाहन और रस्सी दल क्यों नहीं तैनात किए गए? और अगर सुरक्षा व्यवस्था सही थी, तो फिर कोई व्यक्ति उनकी कार के नीचे कैसे आ गया?

जगन ने यह भी कहा कि सरकार ने उन्हें बुलेटप्रूफ वाहन उपलब्ध नहीं कराया, जो कि प्रोटोकॉल के तहत अनिवार्य है, इसलिए उन्होंने निजी खर्च पर खुद इसके इंतजाम किए। उन्होंने बताया कि वे सरकार द्वारा नियुक्त ड्राइवर का ही उपयोग कर रहे थे, इसलिए पूरे काफिले की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की बनती है।

उन्होंने पुलिस अधीक्षक (SP) के शुरुआती बयान का हवाला देते हुए पूछा कि बाद में बयान बदलकर पूरे मामले का राजनीतिकरण क्यों किया गया। जगन ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी गठबंधन इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना का उपयोग अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए कर रहा है।

अंत में, YSRCP प्रमुख ने दावा किया कि जैसे ही उन्हें सिंगैया की मौत की जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत पार्टी नेताओं को पीड़ित परिवार की मदद करने का निर्देश दिया और सिंगैया के परिवार के लिए 10 लाख रुपये की सहायता राशि की घोषणा की।

यह घटना आंध्र प्रदेश की राजनीति में एक बड़े टकराव की वजह बन गई है और आने वाले दिनों में इस पर सियासत और भी तेज़ होने की संभावना है।

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