चीन ने सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजिंग ने जिनेवा में हुई व्यापार वार्ता के दौरान बनी सहमति का उल्लंघन किया है। चीन ने इन आरोपों को “निराधार” बताया और यह भी कहा कि वह अपने वैध हितों की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने यह प्रतिक्रिया ट्रंप की उस टिप्पणी के जवाब में दी, जो उन्होंने शुक्रवार को दी थी। ट्रंप ने आरोप लगाया था कि चीन ने टैरिफ में कटौती के लिए हुए द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन किया है।
मंत्रालय ने कहा कि चीन ने मई के मध्य में जिनेवा में हुए समझौते को पूरी तरह से लागू किया है और उसका ईमानदारी से पालन भी किया है। इसके उलट, अमेरिका ने चीन के खिलाफ कई “भेदभावपूर्ण और प्रतिबंधात्मक” कदम उठाए हैं, जो आपसी व्यापार के लिए हानिकारक हैं।
इन अमेरिकी कदमों में एआई चिप्स के निर्यात पर नियंत्रण के लिए नए दिशा-निर्देश जारी करना, चीन को चिप डिजाइन सॉफ्टवेयर की बिक्री पर रोक लगाना और चीनी छात्रों के वीज़ा रद्द करना शामिल है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “अमेरिकी सरकार ने बार-बार एकतरफा तरीके से नए आर्थिक और व्यापारिक तनावों को जन्म दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में अस्थिरता और अनिश्चितता बढ़ी है।” हालांकि चीन ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह इसके जवाब में कौन से कड़े कदम उठा सकता है।
गौरतलब है कि बीजिंग और वाशिंगटन ने मई के मध्य में जिनेवा में एक समझौते के तहत 90 दिनों के लिए तीन अंकों के टैरिफ को रोकने पर सहमति जताई थी। साथ ही चीन ने यह वादा भी किया था कि वह अमेरिका सेमीकंडक्टर्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली महत्वपूर्ण धातुओं के निर्यात पर लगे अपने व्यापारिक प्रतिबंधों को हटाएगा।
ट्रंप ने हाल ही में स्टील और एल्युमीनियम पर लगे आयात शुल्क को दोगुना कर 50% करने की घोषणा की। चीन, जो दुनिया का सबसे बड़ा स्टील उत्पादक और निर्यातक है, पहले ही 2018 में लगे 25% टैरिफ के कारण अमेरिकी बाजार से काफी हद तक बाहर हो चुका है। वहीं एल्युमीनियम की आपूर्ति में चीन अमेरिका के लिए तीसरे स्थान पर है।
इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनातनी एक बार फिर तेज़ हो गई है, और आने वाले दिनों में यह टकराव और बढ़ सकता है।