केंद्रीय मंत्री और भाजपा की सहयोगी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा है कि जाति जनगणना को लेकर श्रेय लेने की होड़ में लगे नेताओं को यह नहीं भूलना चाहिए कि उनके पास सत्ता में रहते हुए यह कदम उठाने का मौका था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
NDTV को दिए गए एक साक्षात्कार में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अगली जनगणना में जातीय आंकड़े दर्ज करने का फैसला समय की मांग था और यह निर्णय किसी चुनावी फायदे के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
जब उनसे पूछा गया कि क्या यह फैसला बिहार विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर लिया गया है, जहां जाति की राजनीति अहम भूमिका निभाती है, तब उन्होंने स्पष्ट कहा, “केवल बिहार के लिए राष्ट्रीय स्तर की जनगणना? अगर हमें ऐसा करना होता, तो हम इसे लोकसभा चुनाव से पहले कर लेते। यह समय की मांग थी, इसकी बहुत जरूरत थी। भाजपा और उसके सहयोगी लंबे समय से इस पर काम कर रहे थे।”
चिराग पासवान ने यह भी कहा कि वे खुद इस मुद्दे पर लंबे समय से मुखर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैंने बार-बार कहा है कि इसकी जरूरत है। जब सरकार समाज के कमजोर वर्गों के लिए नीतियां बनाती है, तो उसके पास उनके बारे में ठोस डेटा होना चाहिए। लेकिन 1931 के बाद से हमारे पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है। यह फैसला उन लोगों की भावनाओं को समझते हुए लिया गया जो वर्षों से इसकी मांग कर रहे थे।”
विपक्ष पर हमला बोलते हुए चिराग पासवान ने कहा कि अब जब केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है, तो कांग्रेस, आरजेडी और सपा जैसे दल श्रेय लेने की होड़ में लग गए हैं। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी, लालू प्रसाद यादव, अखिलेश यादव… आप सब सत्ता में थे। आपने क्यों नहीं किया? आजादी के बाद सबसे लंबे समय तक कांग्रेस सत्ता में रही। आपके परिवार से तीन-तीन प्रधानमंत्री हुए। फिर जाति जनगणना क्यों नहीं हुई?”
उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का भी जिक्र किया और कहा, “मनमोहन सिंह के समय मंत्रियों का एक समूह इस विषय पर बना था। फिर भी आपने कोई फैसला नहीं लिया। आज जब भाजपा सरकार ने यह फैसला किया है तो आप इसका श्रेय लेने आ रहे हैं?”
बिहार में लालू प्रसाद यादव और उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव तथा अखिलेश यादव की सरकारों को भी आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा, “लालू जी बिहार के मुख्यमंत्री थे, मुलायम सिंह और अखिलेश जी यूपी के। उन्होंने जातिगत सर्वे क्यों नहीं कराया? अब जब यह काम हो गया है तो वे इसे राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं, लेकिन अब वह हथियार निष्क्रिय हो चुका है।”
जब उनसे पूछा गया कि 2021 में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में कहा था कि सरकार जातियों की गणना नहीं करेगी, तब चिराग पासवान ने कहा, “यह उस समय की प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है। विचार बदलते हैं, समय के साथ हम परिपक्व होते हैं, और लोगों की भावनाओं का सम्मान करना पड़ता है।”
उन्होंने यह भी बताया कि बिहार में भाजपा के हर विधायक ने जातिगत सर्वेक्षण का समर्थन किया था, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुझावों के लिए हमेशा खुले रहते हैं।
जब उनसे निजी क्षेत्र में आरक्षण को लेकर सवाल किया गया, जो उनके दिवंगत पिता और पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान की एक प्रमुख मांग रही है, तब चिराग पासवान ने कहा, “सही समय पर सही निर्णय लेना ही प्रधानमंत्री का काम है। हमारी पार्टी निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग का समर्थन करती है, लेकिन फिलहाल प्राथमिकता इसे समय पर क्रियान्वित करने की है।”
