भारत में कोविड-19 के मामलों में एक बार फिर वृद्धि देखी जा रही है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि घबराने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि सतर्क रहना और आवश्यक सावधानियाँ बरतना ज़रूरी है।
कहां बढ़ रहे हैं कोविड-19 के मामले?
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, हाल ही में कोविड-19 के नए मामले मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में दर्ज किए गए हैं। तमिलनाडु से भेजे गए एक नमूने में एक नया सबवेरिएंट NB.1.8.1 पाया गया है, जो अप्रैल में एकत्र कर INSACOG (भारतीय SARS-CoV-2 जीनोम अनुक्रमण संघ) को प्रस्तुत किया गया था।
दूसरी ओर, कई देशों में भी कोविड के मामलों में इज़ाफा हो रहा है। WHO के आंकड़ों के अनुसार दक्षिण-पूर्व एशिया में मामलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उदाहरण के तौर पर, सिंगापुर में 20–26 अप्रैल के बीच 11,100 मामलों की तुलना में 27 अप्रैल–3 मई के बीच 14,200 मामले सामने आए।
भारत में क्या स्थिति है?
स्वास्थ्य मंत्रालय के कोविड-19 डैशबोर्ड के अनुसार, मंगलवार शाम तक भारत में 1,010 सक्रिय मामले थे। इनमें से सबसे ज़्यादा 43% मामले केरल में, 21% महाराष्ट्र में, 10% दिल्ली में, 8% गुजरात में और 7% तमिलनाडु में दर्ज हुए।
19 मई से अब तक महाराष्ट्र में 3, केरल में 2 और कर्नाटक में 1 मौत दर्ज की गई है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इनकी मृत्यु सीधे कोविड से हुई या अन्य कारणों से – मंत्रालय का कहना है कि और जानकारी की प्रतीक्षा की जा रही है।
फिलहाल यह प्रकोप भौगोलिक रूप से सीमित प्रतीत होता है। देश के केवल नौ राज्यों में सक्रिय मामले दोहरे अंकों में हैं, और सिर्फ केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में 100 से अधिक केस हैं। आने वाले दो हफ्तों में परीक्षण की संख्या बढ़ने से स्थिति स्पष्ट हो सकती है।
अस्पतालों में भर्ती की स्थिति क्या है?
अभी तक अस्पताल में भर्ती के कोई चिंताजनक आंकड़े सामने नहीं आए हैं। अधिकांश अस्पतालों ने कोविड-19 के चलते भर्ती में कोई उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज नहीं की है। जो कुछ मामले भर्ती हुए हैं, वे ज़्यादातर वे लोग हैं जिनमें पहले से अन्य गंभीर बीमारियाँ थीं। इससे संकेत मिलता है कि फिलहाल नए संक्रमण गंभीर बीमारी नहीं बना रहे हैं।
मामले क्यों बढ़ रहे हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार, कोविड-19 अब एक स्थानिक (एंडेमिक) बीमारी बन चुकी है, यानी यह समय-समय पर उभरती रहेगी। मामले बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं:
- कमज़ोर होती प्रतिरक्षा: टीकाकरण या पूर्व संक्रमण से मिली सुरक्षा समय के साथ घट सकती है, जिससे व्यक्ति फिर से संक्रमित हो सकता है।
- नए वेरिएंट: वायरस समय के साथ बदलता रहता है। कुछ वेरिएंट पहले से अधिक तेज़ी से फैल सकते हैं या प्रतिरक्षा प्रणाली से बच निकल सकते हैं।
- मौसमी पैटर्न: जैसे-जैसे मौसम बदलता है, खासकर ठंडे और नम मौसम में, वायरस का फैलाव बढ़ सकता है।
- अन्य वायरल संक्रमणों में वृद्धि: भारत के कई शहरों में अन्य वायरल बीमारियाँ भी बढ़ रही हैं, जो संक्रमण के सामान्य मौसमी रुझान को दर्शाता है।
- कम परीक्षण: परीक्षण की संख्या कम होने से संक्रमण का जल्दी पता नहीं चल पाता।
कौन से वेरिएंट फिलहाल फैले हुए हैं?
WHO तीन तरह के वेरिएंट्स की निगरानी करता है:
- चिंता के वेरिएंट (VOC): जो अधिक तेज़ी से फैलते हैं, गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं या टीकों से बच सकते हैं। वर्तमान में कोई भी वेरिएंट VOC की श्रेणी में नहीं है।
- रुचि के वेरिएंट (VOI): जिनमें ऐसे बदलाव होते हैं जो वायरस के व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं।
- निगरानी के तहत वेरिएंट (VUM): ऐसे वेरिएंट जिन्हें विशेषज्ञ भविष्य के लिए जोखिम भरा मान सकते हैं।
फरवरी 2025 के पहले सप्ताह में अनुक्रमित मामलों में JN.1 वेरिएंट 16.3% मामलों में पाया गया था। सिंगापुर में JN.1 के दो उप-वेरिएंट – LF.7 और NB.1.8 – अधिकांश मामलों में पाए गए हैं, लेकिन इनसे गंभीर बीमारी या अधिक तेजी से फैलने का कोई संकेत नहीं मिला है।
भारत में भी हाल के महीनों में अधिकतर मामलों में BA.2 और JN.1 वेरिएंट पाए गए हैं और ये पहले के वेरिएंट्स की तुलना में अधिक संक्रामक या घातक नहीं हैं।
आपको क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
- यदि आप भीड़-भाड़ वाली जगह पर जा रहे हैं या आपको सर्दी, गले में खराश, सिरदर्द या बुखार है, तो मास्क ज़रूर पहनें।
- हल्के लक्षण होने पर घर पर ही आइसोलेशन में रहें और किसी से नजदीकी संपर्क न रखें।
- घर में रहते हुए मास्क पहनें, उचित दूरी बनाए रखें और बार-बार हाथ धोएं।
- ज़्यादा पानी पिएं, आराम करें और तापमान व ऑक्सीजन स्तर (SpO2) की निगरानी करते रहें।
- डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल न करें।
- अगर सांस लेने में तकलीफ हो, ऑक्सीजन स्तर 93% से कम हो जाए, तेज़ बुखार या पांच दिन से अधिक समय तक खांसी हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
किन लोगों को ज़्यादा सावधानी बरतनी चाहिए?
60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, जिनको हृदय रोग, मधुमेह, टीबी, फेफड़े/किडनी/लीवर की पुरानी बीमारी है, या जो मोटापे से ग्रस्त हैं या जिन्होंने अभी तक वैक्सीन नहीं ली है – उन्हें विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए।
कोविड-19 अब हमारे बीच रहेगा, लेकिन घबराने की ज़रूरत नहीं है। सावधानी और सतर्कता से हम इसकी लहरों को बिना ज़्यादा नुकसान के पार कर सकते हैं।

