केरल सरकार ने तिरुवनंतपुरम के समुद्र तटों पर बड़ी मात्रा में पाए गए प्लास्टिक के छोटे-छोटे छर्रों, जिन्हें नर्डल्स कहा जाता है, से निपटने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने की घोषणा की है। ये नर्डल्स इस सप्ताह की शुरुआत में केरल के तट पर लाइबेरिया के झंडे वाले एक मालवाहक जहाज के डूबने के बाद समुद्र में फैल गए थे।
अधिकारियों के अनुसार, नर्डल्स को अन्य माल के साथ जहाज में ले जाया जा रहा था और संदेह है कि कंटेनर के टूटने के कारण वे समुद्र में बह गए। नर्डल्स सफेद रंग के प्लास्टिक के छोटे-छोटे छर्रे होते हैं, जो विभिन्न प्लास्टिक उत्पादों के निर्माण में कच्चे माल के रूप में काम आते हैं।
केरल विश्वविद्यालय में जलीय जीव विज्ञान और मत्स्य पालन विभाग के प्रोफेसर ए. बिजू कुमार ने बताया कि नर्डल्स का आकार मछली के अंडों जैसा होता है, जिसके कारण मछलियाँ, कछुए और समुद्री पक्षी इन्हें खाने की गलती कर बैठते हैं। इससे उनकी आंतों में रुकावट, भूखमरी और अंततः मृत्यु हो सकती है। नर्डल्स रेत और नदियों के मुहानों में जमा होकर वहां के प्राकृतिक आवासों को भी दूषित करते हैं।
प्रोफेसर कुमार ने अपनी फेसबुक पोस्ट में यह भी चेतावनी दी कि ये नर्डल्स समुद्री जल में मौजूद प्रदूषकों को सोख लेते हैं और धीरे-धीरे विषैले प्लास्टिक छर्रों में बदल जाते हैं। समय के साथ, ये सूक्ष्म और नैनो प्लास्टिक में टूट जाते हैं, जो अंततः खाद्य श्रृंखला और मानव आहार का हिस्सा बन सकते हैं।
राज्य सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की तैनाती और ड्रोन से तटीय सर्वेक्षण का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा कि हर 100 मीटर की दूरी पर स्वयंसेवकों को तैनात किया जाएगा, जो तट से इन छर्रों को हटाने का कार्य करेंगे। इसके अतिरिक्त, पुलिस, अग्निशमन और बचाव सेवा, और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को भी निगरानी के लिए नियुक्त किया गया है ताकि स्वयंसेवकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
अंचुथेंगु पंचायत की उपाध्यक्ष लीजा बोस ने बताया कि उनकी पंचायत की लगभग 5.5 किलोमीटर लंबी तटरेखा नर्डल्स से बुरी तरह प्रभावित है। उन्होंने कहा, “ये छर्रे दानेदार हैं और इसलिए इन्हें रेत से अलग करना बेहद मुश्किल है। सरकार के निर्देशानुसार, हमने कुछ स्वयंसेवकों को नियुक्त किया है, जो गुरुवार से सफाई कार्य शुरू करेंगे। फिलहाल, इन छर्रों को रेत सहित कंटेनरों में भरकर बाद में उन्हें फिल्टर करने की योजना है।”
इस आपात स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री ने शीर्ष पर्यावरण विशेषज्ञों, जिला कलेक्टरों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक विशेष बैठक भी बुलाई। इसमें जहाज में मौजूद खतरनाक मालवाहक सामग्री के रिसाव, तेल फैलाव और उसके संभावित पर्यावरणीय प्रभावों पर चर्चा की गई। हालांकि, बैठक में लिए गए निर्णयों की विस्तृत जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है।
सरकार के इन प्रयासों का उद्देश्य न केवल तटीय क्षेत्रों की सफाई है, बल्कि समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा और दीर्घकालिक मानव स्वास्थ्य जोखिमों को भी टालना है।

