कॉमेडियन कुणाल कामरा को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर दर्ज एफआईआर के सिलसिले में अदालत ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
बुधवार को जस्टिस एस. कोटवाल और जस्टिस एस. मोदक की खंडपीठ ने कुणाल कामरा की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें एफआईआर रद्द करने की मांग की गई थी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया और तब तक के लिए मुंबई पुलिस को कामरा की गिरफ्तारी न करने का निर्देश दिया।
यह मामला एक स्टैंड-अप शो के दौरान की गई उस टिप्पणी से जुड़ा है जिसमें कामरा ने एकनाथ शिंदे को कथित तौर पर “गद्दार” (देशद्रोही) कहा था। इस टिप्पणी को लेकर मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इसके बाद शिंदे की पार्टी शिवसेना (शिंदे गुट) के कार्यकर्ताओं ने उस स्टूडियो में तोड़फोड़ भी की जहाँ शो की रिकॉर्डिंग की गई थी।
कामरा के वकील नवरोज सीरवई ने अदालत में कहा कि 2024 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी नेताओं द्वारा भी एकनाथ शिंदे को “गद्दार” कहा गया था, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके उलट, एक कॉमेडियन को निशाना बनाया गया, जिससे कलाकारों को यह संदेश देने की कोशिश की गई कि अगर सत्ताधारी पक्ष को आपकी बात पसंद नहीं आई, तो आपके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
वकील ने बताया कि कामरा ने शो में फिल्म “दिल तो पागल है” के एक गाने का पैरोडी संस्करण प्रस्तुत किया, जिसमें “गद्दार” शब्द का इस्तेमाल हुआ। इसके बाद उन्होंने शिंदे द्वारा 2022 में उद्धव ठाकरे के खिलाफ किए गए विद्रोह और शिवसेना के विभाजन पर व्यंग्य किया।
सीरवई ने तर्क दिया कि अजीत पवार, जो अब उपमुख्यमंत्री हैं, उन्होंने भी अतीत में ‘गद्दार’ शब्द का इस्तेमाल किया था, लेकिन तब कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष ने चुनाव के दौरान “गद्दार एकनाथ शिंदे सरकार का पंचनामा” नामक पुस्तिका जारी की थी।
उन्होंने उद्धव ठाकरे के उस बयान का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि “गद्दार” ने न केवल उन्हें बल्कि पूरे महाराष्ट्र को धोखा दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह राजनीतिक आलोचना थी, न कि कॉमेडी या मज़ाक, फिर भी उन नेताओं के खिलाफ कोई मामला नहीं बना।
सीरवई ने आरोप लगाया कि कामरा के माता-पिता को भी परेशान किया गया और उनके मुंबई स्थित घर पर पुलिस समन लेकर पहुंच गई। उन्होंने इसे दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई बताया और कहा कि यह स्पष्ट रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है।
दूसरी ओर, सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर ने कहा कि कामरा का कृत्य सरकार की हास्यात्मक आलोचना नहीं था, बल्कि यह एक व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाने का प्रयास था। उन्होंने कहा कि “गद्दार” शब्द के इस्तेमाल के अलावा गाने में किसी तरह का हास्य नहीं था, और न ही यह शिंदे के काम या भूमिका की कोई आलोचना थी।
सरकारी पक्ष ने यह भी कहा कि सिर्फ इसलिए कि अतीत में इस तरह की बातों पर कोई शिकायत नहीं की गई, इसका मतलब यह नहीं है कि भविष्य में भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकती।
अदालत द्वारा पूछे जाने पर कि पुलिस ने कामरा का बयान क्यों दर्ज किया, अभियोजन पक्ष ने कहा कि आरोपों की पुष्टि के लिए जांच जरूरी है।
कामरा को धमकियों के संदर्भ में वेनेगांवकर ने कहा कि राज्य का दायित्व है कि हर व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करे और यदि कामरा को खतरे का अनुभव होता है, तो उन्हें सामने आकर बताना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर सुरक्षा मुहैया कराई जा सके।
हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किए बिना कि फैसला कब सुनाया जाएगा, आदेश सुरक्षित रख लिया है। तब तक के लिए कामरा की गिरफ्तारी पर रोक लगी रहेगी।

