कर्नाटक की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने तटीय जिलों—दक्षिण कन्नड़, उडुपी और उत्तर कन्नड़—में हाल के दिनों में बढ़े सांप्रदायिक तनाव की जांच के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति की घोषणा राज्य के उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने की। समिति को एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, इस समिति की अध्यक्षता राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन करेंगे। अन्य सदस्यों में केपीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष मंजूनाथ भंडारी, विधायक N.A. हारिस, कांग्रेस पदाधिकारी रोजी जॉन और वी.आर. सुदर्शन, पूर्व मंत्री किम्माने रत्नाकर और जयप्रकाश हेगड़े शामिल हैं।
यह कदम तटीय कर्नाटक में हाल ही में हुई सांप्रदायिक घटनाओं—जिनमें बंटवाल तालुक में एक 32 वर्षीय व्यक्ति की हत्या शामिल है—के चलते बढ़ती चिंता के मद्देनज़र उठाया गया है। इन जिलों में धार्मिक तनाव के बढ़ते स्तर ने प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व दोनों को सक्रिय कर दिया है।
राज्य सरकार एक सख्त “नफरत फैलाने वाले भाषण विरोधी कानून” लाने पर भी गंभीरता से विचार कर रही है। 31 मई को हुई एक समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सरकार गलत सूचना और घृणास्पद भाषण के खिलाफ एक सशक्त कानून लाने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा, “चाहे आरोपी कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, उसके खिलाफ निष्पक्ष रूप से कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने जिला अधिकारियों को ऐसे मामलों में सख्त कदम उठाने के निर्देश भी दिए।
दक्षिण कन्नड़ के प्रभारी मंत्री दिनेश गुंडू राव ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में घृणास्पद भाषण देने वालों को बहुत आसानी से जमानत मिल जाती है, जिसे रोकने के लिए कानून को और सख्त करने की जरूरत है।
सरकार ने पिछले सप्ताह एक विशेष कार्रवाई बल (SAF) का भी गठन किया है, जिसका फोकस दक्षिण कन्नड़, उडुपी और शिवमोगा जैसे संवेदनशील जिलों पर रहेगा। इस बल का नेतृत्व एक उप महानिरीक्षक (DIG) रैंक के अधिकारी करेंगे, और इसमें कुल 248 कर्मी शामिल होंगे, जिनमें नक्सल विरोधी बल (ANF) के सदस्य भी रहेंगे।
सरकारी आदेश के अनुसार, SAF को इन तीन जिलों में तैनात किया जाएगा और इसका कार्य क्षेत्र व्यापक होगा—जिसमें सांप्रदायिक गतिविधियों पर खुफिया जानकारी एकत्र करना, सोशल मीडिया पर घृणास्पद भाषण और कट्टरपंथ की निगरानी करना, और अशांति प्रभावित क्षेत्रों में समुदायों से संवाद कर विश्वास बहाल करना शामिल है।
गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने कहा कि एसएएफ तुरंत अपना कार्य शुरू कर देगा। उन्होंने कहा, “सरकार ने दक्षिण कन्नड़, उडुपी और शिवमोगा को संवेदनशील जिलों की श्रेणी में रखा है और इन क्षेत्रों में सांप्रदायिक हिंसा को रोकने तथा शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए हर आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।”