Sunday, November 16, 2025

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की दुष्प्रचार मशीन तेज़ी से सक्रिय

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत द्वारा किए गए मिसाइल हमलों के बाद, पाकिस्तान ने एक संगठित और व्यापक दुष्प्रचार अभियान छेड़ दिया है। इसका उद्देश्य डिजिटल हेरफेर और अपुष्ट दावों के माध्यम से सूचना के प्रवाह को अपने पक्ष में मोड़ना है।

यह सैन्य कार्रवाई, जो भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा एक लक्षित ऑपरेशन के रूप में शुरू हुई थी, अब सोशल मीडिया पर फैले एक अराजक दुष्प्रचार युद्ध का रूप ले चुकी है। इस अभियान को पाकिस्तान समर्थक सोशल मीडिया अकाउंट्स और राजनीतिक हस्तियों द्वारा फर्जी खबरें फैलाकर जानबूझकर हवा दी जा रही है।

एक दोहराया जाने वाला पैटर्न

पाकिस्तानी दुष्प्रचार के पीछे एक स्पष्ट और जाना-पहचाना पैटर्न दिखाई देता है — राज्य से जुड़े सोशल मीडिया अकाउंट्स बार-बार पुरानी तस्वीरों और वीडियो का गलत संदर्भ में उपयोग कर रहे हैं, साथ ही निराधार और झूठे दावे फैला रहे हैं। यह सब कुछ इस रणनीति के तहत किया जा रहा है कि ऑनलाइन स्पेस को इतने झूठे तथ्यों से भर दिया जाए कि सत्य और कल्पना में अंतर करना मुश्किल हो जाए।

हालांकि, संघर्षों के दौरान गलत सूचना फैलाना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार दुष्प्रचार का पैमाना और समन्वय स्पष्ट रूप से एक सोची-समझी रणनीति का संकेत देता है — जिसका मकसद है जनता को भ्रमित करना और अंतरराष्ट्रीय धारणा को प्रभावित करना।

भ्रामक तस्वीरें और फर्जी दावे

सबसे चर्चित भ्रामक दावों में एक वायरल तस्वीर है, जिसमें यह झूठा दावा किया गया कि पाकिस्तान की सेना ने बहावलपुर के पास एक भारतीय राफेल जेट को मार गिराया है। हालांकि, पीआईबी फैक्ट चेक ने इस दावे को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि यह तस्वीर 2021 में पंजाब के मोगा में हुए मिग-21 दुर्घटना की है, जिसका वर्तमान घटनाओं से कोई लेना-देना नहीं है।

एक अन्य झूठे दावे में एक वीडियो को यह बताकर वायरल किया गया कि भारतीय सैनिकों ने चोरा पोस्ट पर आत्मसमर्पण कर दिया। इस झूठ को पाकिस्तान के मंत्री अताउल्लाह तरार ने भी बढ़ावा दिया और बिना किसी प्रमाण के सार्वजनिक रूप से उसका समर्थन किया। इससे उन्होंने न केवल एक फर्जी दावे को मजबूती दी बल्कि जनता को गुमराह भी किया।

असंबंधित वीडियो को युद्ध के प्रमाण के रूप में पेश किया गया

एक और भ्रामक वीडियो क्लिप को इस दावे के साथ फैलाया गया कि पाकिस्तान वायुसेना ने श्रीनगर एयरबेस को निशाना बनाया है। वास्तविकता में, यह फुटेज 2024 की शुरुआत में खैबर पख्तूनख्वा में हुए सांप्रदायिक संघर्ष का था, और इसका कश्मीर या किसी सैन्य अभियान से कोई संबंध नहीं था।

इसके अतिरिक्त, बाड़मेर (राजस्थान) में सितंबर 2024 में हुई मिग-29 दुर्घटना की एक पुरानी तस्वीर को भी हाल ही में पाकिस्तान समर्थक सोशल मीडिया हैंडल्स द्वारा हालिया भारतीय वायुसेना के नुकसान के रूप में प्रस्तुत किया गया।

एक और झूठा दावा पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने किया, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत के हमले के बाद पाकिस्तान की प्रतिक्रिया में भारतीय सैनिकों को बंदी बनाया गया है। हालांकि, बाद में उन्होंने इस बयान से पलटी मार ली और यह साफ हो गया कि ऑपरेशन के दौरान किसी भी भारतीय सैनिक को बंदी नहीं बनाया गया था।

दुष्प्रचार का उद्देश्य: ध्यान भटकाना और भ्रम फैलाना

इन घटनाओं से स्पष्ट है कि पाकिस्तान एक सुव्यवस्थित दुष्प्रचार अभियान के ज़रिये विदेशी मीडिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। इस्लामाबाद का फोकस युद्ध के परिणामों पर नहीं, बल्कि एक मजबूत प्रतिक्रिया का आभास देने वाले झूठे कथानक गढ़ने पर है।

सोशल मीडिया के माध्यम से फैलाई जा रही झूठी जानकारियों, छेड़छाड़ किए गए वीडियो और गलत दावों का उद्देश्य है भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की प्रभावशीलता को कम आंकना। साथ ही, यह रणनीति घरेलू आबादी को बहकाकर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहानुभूति प्राप्त कर भारत की स्थिति को कमजोर करने की एक सोची-समझी चाल है।

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