पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से लगभग 5,000 किसानों ने सोमवार, 2 दिसंबर को दिल्ली के लिए मार्च शुरू किया। ये किसान हाल के दिनों में दिल्ली-नोएडा सीमा पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए एकत्र हुए थे।
किसान विभिन्न मुद्दों को लेकर न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा), ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA), और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। इसके चलते इन क्षेत्रों के पास यातायात कई घंटों तक प्रभावित रहा।
विरोध की शुरुआत और विस्तार
यह विरोध प्रदर्शन 25 नवंबर को नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय के बाहर शुरू हुआ और सोमवार को अपने आठवें दिन तक पहुंच गया। अब किसानों ने दिल्ली की ओर कूच करने का फैसला लिया है।
कौन से किसान समूह शामिल हैं?
यह आंदोलन कई किसान संगठनों के बैनर तले हो रहा है, जिनमें मुख्य रूप से संयुक्त किसान मोर्चा (SKU), भारतीय किसान परिषद (BKP) और किसान मजदूर मोर्चा (KMM) शामिल हैं।
इनमें से SKU जैसे कुछ संगठनों ने 2020 के किसानों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था, जो केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ था। हालांकि, इस बार उनकी मांगें अलग हैं और मुख्यतः उत्तर प्रदेश सरकार से जुड़ी हुई हैं।
इस बीच, पंजाब और हरियाणा के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से संबंधित अलग मुद्दों पर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसानों की मुख्य मांगें क्या हैं?
उत्तर प्रदेश के किसानों की मांगें 1997 से 2008 के बीच हुए सरकारी भूमि अधिग्रहण से संबंधित हैं।
भारतीय किसान यूनियन (अखंड) के अध्यक्ष चौधरी महेश कसाना ने कहा, “हम लंबे समय से विरोध कर रहे हैं, लेकिन प्राधिकरण ने गरीब किसानों का शोषण करने के अलावा कुछ नहीं किया है। अब वे ‘न्यू नोएडा’ की योजना बना रहे हैं और हमारी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं।”
किसानों की मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं:
- भूमि का उचित हिस्सा: आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों के लिए अधिग्रहित जमीन का 10% हिस्सा भूखंड के रूप में मूल मालिकों को दिया जाए।
- मुआवजा दर में वृद्धि: किसानों ने बढ़ती महंगाई के आधार पर मुआवजा दर में 64.7% की वृद्धि की मांग की है। उनका कहना है कि मौजूदा अधिग्रहण दर बाजार दर से चार गुना कम है।
- सामाजिक लाभ: विस्थापितों के परिवारों को शिक्षा में 10% आरक्षण, मुफ्त बिजली-पानी, और बच्चों के लिए अन्य कानूनी लाभ दिए जाएं।
दिल्ली मार्च का कारण
2008 से लेकर अब तक कई बार किसानों ने छोटे पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए हैं। हालांकि, 2023 की शुरुआत से यह आंदोलन तेज हो गया।
इस साल फरवरी में, नोएडा में दलित प्रेरणा स्थल पर हुए विरोध प्रदर्शन को रोक दिया गया था। तब राज्य सरकार ने किसानों से उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन मुद्दों की जांच के लिए एक समिति गठित करने की बात कही थी।
मौजूदा स्थिति
सोमवार सुबह, ग्रेटर नोएडा, मेरठ, बुलंदशहर और आगरा के विभिन्न गांवों से आए किसानों को महामाया फ्लाईओवर पर रोक दिया गया। तीनों प्राधिकरणों के अधिकारियों ने किसानों को एक सप्ताह के भीतर उत्तर प्रदेश सरकार के सचिव के साथ बैठक कराने का मौखिक आश्वासन दिया।
किसान फिलहाल नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल पर डेरा जमाए हुए हैं। उनका कहना है कि वे यातायात बाधित नहीं करेंगे, लेकिन अगर उनकी मांगें एक सप्ताह के भीतर पूरी नहीं होती हैं, तो वे दिल्ली चलो मार्च फिर से शुरू करेंगे।
आगे की राह
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उत्तर प्रदेश सरकार और प्राधिकरण किस हद तक किसानों की मांगों को पूरा करते हैं। यदि समाधान नहीं निकला, तो यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है।