दक्षिण कोरिया के सैन्य अधिकारियों के अनुसार, मंगलवार को उत्तर कोरिया ने पूर्व दिशा में कई छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। जापानी रक्षा अधिकारियों ने बताया कि ये मिसाइलें बिना किसी नुकसान के समुद्र में गिरीं।
इससे पहले, उत्तर कोरिया ने अपनी सबसे नई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया था, जिसकी निगरानी किम जोंग उन ने खुद की थी। यह मिसाइल अमेरिका की मुख्य भूमि तक पहुँचने में सक्षम है। इसके जवाब में, अमेरिका ने रविवार को दक्षिण कोरिया और जापान के साथ एक संयुक्त सैन्य अभ्यास किया, जिसमें उसने B-1B बमवर्षक तैनात किए। इस पर किम जोंग उन की बहन ने आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिका और उसके साथी “आक्रामक और साहसिक सैन्य धमकियों” के ज़रिए तनाव बढ़ा रहे हैं।
दक्षिण कोरियाई खुफिया एजेंसियों का कहना है कि उत्तर कोरिया अमेरिका का ध्यान खींचने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के समय अपनी सैन्य गतिविधियों को और बढ़ा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर कोरिया ने अपने सातवें परमाणु परीक्षण की तैयारियाँ लगभग पूरी कर ली हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर कोरिया अपने बढ़ते परमाणु शस्त्रागार का इस्तेमाल अमेरिका से रियायतें हासिल करने के लिए कर सकता है, जैसे कि चुनाव के बाद प्रतिबंधों में कुछ राहत। कुछ लोग मानते हैं कि किम जोंग उन डोनाल्ड ट्रंप की जीत के पक्ष में होंगे, क्योंकि 2018-19 में ट्रंप के साथ हुई पिछली परमाणु वार्ताओं में किम को अधिक समर्थन मिला था। ट्रंप ने हमेशा किम के साथ अपने अच्छे संबंधों का ज़िक्र किया है, जबकि वर्तमान उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा है कि वे तानाशाहों के करीब नहीं जाएंगी। उत्तर कोरिया की मीडिया ने 31 अक्टूबर को परीक्षण किए गए “ह्वासोंग-19” को “दुनिया का सबसे ताकतवर” आईसीबीएम कहा, हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह मिसाइल युद्ध के लिए व्यावहारिक नहीं है। उनका कहना है कि उत्तर कोरिया के पास अब भी आईसीबीएम से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण तकनीकों की कमी है, खासकर उस तकनीक की जिससे वारहेड दोबारा वायुमंडल में प्रवेश कर सके।