Friday, October 24, 2025

ईरानी परमाणु ठिकानों पर इजरायली हमले की आशंका

CNN की एक रिपोर्ट के अनुसार, नई अमेरिकी खुफिया जानकारी से संकेत मिलता है कि इजरायल ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हमला करने की तैयारी कर रहा है। इस रिपोर्ट में कई अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि इजरायली हमले की संभावना पहले से अधिक हो गई है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इजरायली नेतृत्व ने इस पर अंतिम निर्णय लिया है या नहीं।

फैसले को लेकर अनिश्चितता

अधिकारियों ने बताया कि इजरायल ने अभी तक हमला करने का निर्णय लिया है या नहीं, यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। अमेरिकी सरकार के अंदर इस मुद्दे पर मतभेद हैं—कुछ का मानना है कि हमला हो सकता है, जबकि कुछ इसे केवल एक दबाव रणनीति मानते हैं। यह फैसला काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि इजरायल अमेरिका और ईरान के बीच चल रही परमाणु वार्ताओं को किस नजर से देखता है।

हमले की संभावना बढ़ी

CNN के अनुसार, खुफिया जानकारी से परिचित एक सूत्र ने बताया, “पिछले कुछ महीनों में ईरानी परमाणु ठिकानों पर इजरायली हमले की आशंका काफी बढ़ गई है।” इस बढ़ती आशंका का एक कारण ट्रंप प्रशासन द्वारा प्रस्तावित ऐसा परमाणु समझौता है, जिसमें ईरान के सभी यूरेनियम को हटाने की गारंटी नहीं दी गई है।

सैन्य तैयारी और अभ्यास

सूत्रों के अनुसार, अमेरिका का मानना है कि इजरायल सैन्य तैयारी में जुटा हुआ है—जिसमें हथियारों का भंडारण और वायुसेना अभ्यास भी शामिल हैं। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ये कार्रवाइयां ईरान पर दबाव बनाने की एक रणनीति हो सकती हैं ताकि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को छोड़ने पर मजबूर हो जाए।

वार्ता और अमेरिकी रणनीति

इस बीच, अमेरिका और ईरान के बीच चल रही वार्ताएं ठप हो चुकी हैं। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि यदि वार्ता विफल होती है तो अमेरिका सैन्य विकल्प अपनाने से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने ईरान को 60 दिनों का समय दिया था, जो अब पूरा हो चुका है। एक पश्चिमी राजनयिक ने बताया कि ट्रंप अब केवल कुछ और सप्ताह का समय देने के पक्ष में हैं, इसके बाद सैन्य कार्रवाई की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।

हालांकि, वर्तमान में अमेरिका की आधिकारिक नीति कूटनीति को प्राथमिकता देने की है। अमेरिका चाहता है कि ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को पूरी तरह से रोके, जिससे परमाणु हथियारों के निर्माण की संभावना समाप्त हो जाए। अमेरिका के वार्ता दूत स्टीव विटकॉफ ने स्पष्ट किया, “हम किसी भी समझौते में यूरेनियम संवर्धन की 1% भी अनुमति नहीं दे सकते।”

ईरान की स्थिति और रुख

तेहरान इस समय काफी कमजोर स्थिति में है। अक्टूबर में इजरायल ने उसकी वायु रक्षा और मिसाइल निर्माण इकाइयों को निशाना बनाया था। इसके अलावा, अमेरिकी प्रतिबंधों और ईरान समर्थित गुटों पर हुए हमलों ने उसकी शक्ति को और भी कम कर दिया है। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, इजरायल इसे कार्रवाई के लिए उपयुक्त समय मान रहा है।

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने मंगलवार को कहा कि उन्हें अमेरिका के साथ बातचीत के सफल होने की कोई उम्मीद नहीं है। उन्होंने अमेरिकी मांगों को “बड़ी गलती” बताते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन के अधिकार से पीछे नहीं हटेगा, जिसे संयुक्त राष्ट्र की परमाणु अप्रसार संधि के तहत मान्यता प्राप्त है।

इजरायल को अमेरिकी समर्थन की आवश्यकता

यदि इजरायल वास्तव में हमला करता है, तो उसे अमेरिका के समर्थन की आवश्यकता होगी—जिसमें ईंधन भरने वाले विमानों से लेकर जमीन के भीतर तक मार करने वाले उन्नत बम शामिल हैं। फिलहाल अमेरिका खुफिया स्तर पर इजरायल की सहायता कर रहा है, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका तब तक सैन्य समर्थन नहीं देगा जब तक कि ईरान कोई बड़ा उकसावा न करे।

तेहरान और यरुशलम के बीच तनाव अपने चरम पर है। अमेरिका मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है लेकिन कूटनीतिक प्रयास अब तक विफल रहे हैं। आने वाले हफ्ते इस क्षेत्र की स्थिरता के लिए निर्णायक हो सकते हैं—यह तय कर सकते हैं कि बात आगे बढ़ेगी या जंग की ओर कदम उठेंगे।

Latest news
Related news