इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि इज़राइल और ईरान के बीच हालिया युद्ध के दौरान ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से बर्बाद कर दिया गया है। यह बयान उस समय आया जब दोनों देशों ने संघर्ष विराम पर सहमति जताई थी।
अपने टेलीविज़न भाषण में नेतन्याहू ने कहा कि इज़राइल ने नतांज और इस्फ़हान स्थित परमाणु सुविधाओं के साथ-साथ अराक भारी जल रिएक्टर को भी पूरी तरह से नष्ट कर दिया है।
नेतन्याहू ने कहा,
“दर्जनों वर्षों से मैं आपसे यह वादा करता आया हूं कि ईरान कभी भी परमाणु हथियार हासिल नहीं करेगा। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि हमने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है।”
अपने करीब 10 मिनट लंबे भाषण में उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में ईरान इस परियोजना को फिर से शुरू करने की कोशिश करता है, तो इज़राइल उसी संकल्प और तीव्रता से उसे विफल करेगा।
नेतन्याहू ने कहा,
“हमने ईरान की परमाणु परियोजना को विफल किया है। अगर कोई इसे फिर से शुरू करने की कोशिश करेगा, तो हम फिर से उसे नाकाम कर देंगे।”
इज़राइली सरकार ने इससे पहले मंगलवार को घोषणा की थी कि उन्होंने ईरान के परमाणु कार्यक्रम और उसके मिसाइल कार्यक्रम के माध्यम से उत्पन्न “दोहरे अस्तित्वगत खतरे” को समाप्त कर दिया है।
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अपने सैन्य अभियान “ऑपरेशन राइजिंग लायन” को एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया और कहा कि इसे इज़राइली सैन्य इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस ऑपरेशन का अध्ययन दुनिया भर की सेनाएं करेंगी।
ईरान-इज़राइल युद्धविराम
लगभग 12 दिनों तक मिसाइलों और ड्रोन हमलों का आदान-प्रदान करने के बाद, ईरान और इज़राइल के बीच एक संघर्षविराम पर सहमति बनी। इस युद्धविराम की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर की।
हालांकि, युद्धविराम पर तब अस्थायी रूप से संकट उत्पन्न हो गया जब इज़राइल ने आरोप लगाया कि ईरान ने समझौते का उल्लंघन किया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए डोनाल्ड ट्रम्प ने दोनों पक्षों को फटकार लगाई, लेकिन इज़राइल को अधिक जिम्मेदार ठहराया।
अपने सोशल मीडिया पोस्ट में ट्रम्प ने इज़राइल को चेतावनी दी कि वह ईरान पर और अधिक बमबारी न करे और अपने पायलटों को तुरंत वापस बुला ले। इसके अलावा, उन्होंने प्रधानमंत्री नेतन्याहू को फोन कर कहा कि
“अब ईरान पर और कोई हमला नहीं होना चाहिए।”
इस घटनाक्रम ने मध्य पूर्व में एक नया भू-राजनीतिक संतुलन स्थापित कर दिया है और आने वाले समय में इसके असर को लेकर वैश्विक समुदाय में चर्चाएं तेज हो गई हैं।