Saturday, October 25, 2025

आतंकवाद के खिलाफ भारत का सख्त संदेश, शशि थरूर की अगुवाई में 7 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल करेगा वैश्विक दौरा

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में शुरू किए गए “ऑपरेशन सिंदूर” की प्रशंसा करने पर अपनी ही पार्टी की आलोचना झेल रहे कांग्रेस सांसद डॉ. शशि थरूर को अब एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें आतंकवाद के खिलाफ भारत की “शून्य सहनशीलता” की नीति को वैश्विक स्तर पर उजागर करने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है।

शनिवार को केंद्र सरकार ने श्री थरूर सहित सात सांसदों को इस महत्वपूर्ण कूटनीतिक अभियान के लिए नामित किया। यह अभियान विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में शुरू किया गया है — जो कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों पर की गई भारतीय सैन्य कार्रवाई थी।

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस पहल की जानकारी देते हुए X (पूर्व ट्विटर) पर कहा, “सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में भारत एकजुट है।” उन्होंने बताया कि ये सातों सांसद जल्द ही विश्व के प्रमुख साझेदार देशों की यात्रा करेंगे, और भारत का “आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता का साझा संदेश” वहां ले जाएंगे।

उन्होंने यह भी लिखा, “यह राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रीय एकता का एक सशक्त उदाहरण है।”

पूर्व राजनयिक और वर्तमान सांसद शशि थरूर ने कहा कि उन्हें इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए भारत सरकार के निमंत्रण पर “गौरव और सम्मान” महसूस हो रहा है। उन्होंने कहा, “जब राष्ट्रहित दांव पर हो और मेरी सेवाएं मांगी जाएं, तब मैं कभी पीछे नहीं हटता।”

इस प्रतिनिधिमंडल में थरूर के अलावा दो अन्य विपक्षी नेता भी शामिल हैं — डीएमके की सांसद कनिमोझी करुणानिधि और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की नेता सुप्रिया सुले।

वहीं सत्तारूढ़ एनडीए से भाजपा के रविशंकर प्रसाद, बैजयंत पांडा, जेडीयू के संजय कुमार झा, और शिवसेना (शिंदे गुट) के श्रीकांत शिंदे भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल होंगे।

संसदीय कार्य मंत्रालय ने बताया कि ये प्रतिनिधिमंडल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों से भी मुलाकात करेंगे। मंत्रालय के अनुसार, यह अभियान भारत की राष्ट्रीय सहमति और आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट व कठोर रुख को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है।

बयान में कहा गया, “प्रतिनिधिमंडल भारत की आतंकवाद के खिलाफ शून्य-सहिष्णुता की नीति को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष सशक्त रूप से प्रस्तुत करेगा।”

सूत्रों ने जानकारी दी है कि इस कूटनीतिक पहल में भाजपा नेता निशिकांत दुबे, बांसुरी स्वराज, अनुराग ठाकुर, एमजे अकबर, समिक भट्टाचार्य, दग्गुबाती पुरंदेश्वरी, और एसएस अहलूवालिया भी भाग लेंगे।

इसके अलावा AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी, डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के गुलाम नबी आज़ाद, शिवसेना (उद्धव गुट) की प्रियंका चतुर्वेदी, बीजू जनता दल के सस्मित पात्रा, आप के विक्रमजीत साहनी, माकपा के जॉन ब्रिटास, और तेलुगु देशम पार्टी के कृष्ण देवरायलू लवू व गंती हरीश मधुर के भी इस मिशन का हिस्सा बनने की संभावना है।

इन नेताओं के 23 मई से शुरू होकर 10 दिनों के लिए विभिन्न देशों की यात्रा पर जाने की उम्मीद है।

भारत-पाकिस्तान तनाव की पृष्ठभूमि

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए, के बाद भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इस हमले के तार सीमा पार से जुड़े पाए। इसके बाद 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया।

इस ऑपरेशन में भारतीय सशस्त्र बलों ने लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों को निशाना बनाते हुए PoK और पाकिस्तान में नौ आतंकी शिविरों को तबाह कर दिया और 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया।

इसके जवाब में पाकिस्तानी सेना ने भारत के पश्चिमी क्षेत्रों में ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिश की, जिन्हें भारतीय सुरक्षा बलों ने सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया।

भारत ने इसके बाद एक और जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को अंदर तक जाकर निशाना बनाया।

लगातार चार दिन तक चली सीमा-पार सैन्य गतिविधियों के बाद, दोनों देशों ने 10 मई को एक संघर्ष विराम समझौते पर सहमति जताई और सैन्य कार्रवाइयों को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया।

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