भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने बॉलीवुड अभिनेता अरशद वारसी, उनकी पत्नी मारिया गोरेट्टी और अन्य 57 लोगों को प्रतिभूति बाजार (शेयर बाजार) में कारोबार करने से प्रतिबंधित कर दिया है। यह निर्णय SEBI की जांच के बाद आया है, जिसमें यह सामने आया कि ये लोग साधना ब्रॉडकास्ट (अब क्रिस्टल बिजनेस सिस्टम लिमिटेड) के शेयर की कीमतों में हेरफेर की एक सुनियोजित योजना में शामिल थे।
क्या है मामला?
SEBI ने पाया कि इस पूरे समूह ने मिलकर “पंप एंड डंप” नामक रणनीति का इस्तेमाल किया। इस योजना के तहत, पहले YouTube चैनलों पर भ्रामक वीडियो डाले गए, जिनमें दर्शकों को साधना ब्रॉडकास्ट के शेयर में निवेश करने के लिए उकसाया गया। इन वीडियो में शेयर को अत्यधिक लाभदायक बताया गया, जिससे आम निवेशकों के बीच एक कृत्रिम मांग पैदा हुई और शेयर की कीमत में तेज़ी आई।
जब कीमतें बढ़ गईं, तब इन योजनाकारों ने अपने शेयर ऊंची कीमत पर बेचकर मुनाफा कमाया। इससे आम निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।
अरशद वारसी और उनकी पत्नी की भूमिका
SEBI की रिपोर्ट के अनुसार, अरशद वारसी ने इस योजना से ₹41.70 लाख और उनकी पत्नी मारिया गोरेट्टी ने ₹50.35 लाख का लाभ कमाया। इसके लिए दोनों पर ₹5-5 लाख का जुर्माना लगाया गया और उन्हें एक वर्ष के लिए शेयर बाजार में ट्रेडिंग से प्रतिबंधित कर दिया गया।
बाकी 57 संस्थाओं पर क्या कार्रवाई हुई?
SEBI ने अन्य संस्थाओं और व्यक्तियों पर भी कड़ा रुख अपनाया। कुल 59 संस्थाओं पर जुर्माना लगाया गया, जिसमें से कई पर ₹5 लाख से लेकर ₹5 करोड़ तक का जुर्माना लगाया गया। इसके अलावा, पूरे समूह को ₹58.01 करोड़ का अवैध मुनाफा लौटाने का आदेश दिया गया है। इस राशि पर जांच अवधि की समाप्ति से लेकर भुगतान की तारीख तक 12% वार्षिक ब्याज भी देना होगा।
SEBI की जांच में क्या खुला?
SEBI ने बताया कि यह योजना दो चरणों में चली:
- पहला चरण: जुड़ी हुई संस्थाओं ने आपसी लेन-देन के जरिए स्टॉक की कीमतें धीरे-धीरे बढ़ाईं। चूंकि साधना ब्रॉडकास्ट का ट्रेडिंग वॉल्यूम कम था, इसलिए छोटे-छोटे लेन-देन से भी कीमतों में भारी उछाल आया।
- दूसरा चरण: कीमतें बढ़ने के बाद YouTube चैनलों पर आम निवेशकों को लुभाने वाले प्रचार वीडियो डाले गए। इनमें से कई चैनल जैसे मनीवाइज, द एडवाइजर और प्रॉफिट यात्रा का संचालन मनीष मिश्रा द्वारा किया जाता था।
मुख्य योजनाकार कौन?
SEBI की जांच में इस योजना के पीछे गौरव गुप्ता, राकेश कुमार गुप्ता, और मनीष मिश्रा को मुख्य योजनाकार बताया गया है। इसके अलावा, सुभाष अग्रवाल (जो RTA के निदेशक थे) को भी मनीष मिश्रा और प्रमोटरों के बीच कड़ी के रूप में पहचाना गया।
पीयूष अग्रवाल और लोकेश शाह, जो “चॉइस” के डीलर और दिल्ली में एक ब्रोकरेज फ्रैंचाइजी चलाते थे, योजना को क्रियान्वित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जतिन शाह का नाम भी इस साजिश में लिया गया है।
कुछ संस्थाएं सीधे ट्रेड में शामिल नहीं थीं, लेकिन उन्होंने जानकारी देकर या ट्रेड में मदद करके इस धोखाधड़ी में भाग लिया।
शिकायतें और कार्रवाई
यह घोटाला तब उजागर हुआ जब जुलाई से सितंबर 2022 के बीच SEBI को असामान्य शेयर गतिविधि और ऑनलाइन भ्रामक प्रचार की शिकायतें मिलीं। इसके बाद SEBI ने 8 मार्च 2022 से 30 नवंबर 2022 तक की अवधि की जांच की। मार्च 2023 में 31 संस्थाओं के खिलाफ अंतरिम आदेश जारी किया गया था।
वरुण मीडिया प्राइवेट लिमिटेड, जो कि प्रमोटर कंपनी है, पर फिलहाल जुर्माना नहीं लगाया गया है क्योंकि उस पर दिवालिया प्रक्रिया चल रही है। हालांकि उसे भी अवैध मुनाफा वापस करना होगा। SEBI ने कहा कि उसके खिलाफ फैसले अलग से लिए जाएंगे।
अंतिम निष्कर्ष
109-पृष्ठों की रिपोर्ट में SEBI ने निष्कर्ष निकाला कि सभी 59 संस्थाओं ने जानबूझकर शेयर बाजार के नियमों का उल्लंघन किया और बाजार में धोखाधड़ी तथा अनुचित गतिविधियों को अंजाम दिया।
यह मामला बताता है कि कैसे संगठित तरीके से सोशल मीडिया और तकनीकी साधनों का उपयोग करके आम निवेशकों को गुमराह किया जा सकता है। SEBI ने इस पर सख्त कार्रवाई करते हुए यह स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों में किसी को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कोई प्रसिद्ध हस्ती ही क्यों न हो।