Saturday, June 7, 2025

अमेरिकी सांसदों ने भारत के आतंकवाद के खिलाफ कड़े रुख का समर्थन किया

अमेरिकी कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले की कड़ी और द्विदलीय निंदा की। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत के ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति का समर्थन करते हुए कहा कि भारत को आतंकवाद का जवाब देने का पूरा अधिकार है।

यह बयान उस समय आया जब कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक सर्वदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी सांसदों से मुलाकात की। इस मुलाकात में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने सीमा पार आतंकवाद और आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत रुख के बारे में जानकारी साझा की।

भारतीय दूतावास ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किया, “भारत कॉकस के द्विदलीय सह-अध्यक्ष रो खन्ना (@RoKhanna), प्रतिनिधि डॉ. मैककॉर्मिक (@RepMcCormick), उप-सह-अध्यक्ष एंडी बार (@RepAndyBarr) और मार्क वीसि (@RepVeasey) ने शशि थरूर के नेतृत्व में आए भारतीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की।”

भारतीय दूतावास ने आगे बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिका के कॉकस सदस्यों को यह भी बताया कि भारत किस तरह से आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक और संगठित तरीके से कार्य कर रहा है। अमेरिकी सांसदों ने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की और भारत के जवाबी कदमों को उचित ठहराया।

प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी सदन की विदेश मामलों की समिति (HFAC) के नेतृत्व के साथ भी विचार-विमर्श किया। इस चर्चा में अध्यक्ष ब्रायन मास्ट (@RepBrianMast), रैंकिंग सदस्य ग्रेगोरी मीक्स (@RepGregoryMeeks), दक्षिण और मध्य एशिया उपसमिति के अध्यक्ष ह्यूजेंगा (@RepHuizenga), रैंकिंग सदस्य कामलेगर-डोव (@RepKamlagerDove), रैंकिंग सदस्य डॉ. अमी बेरा (@RepBera) और पूर्वी एशिया उपसमिति की सदस्य यंग किम (@RepYoungKim) शामिल थे।

भारत ने प्रतिनिधिमंडल को यह जिम्मेदारी दी है कि वे दुनिया के प्रमुख 33 वैश्विक राजधानियों का दौरा कर आतंकवाद पर भारत की स्थिति स्पष्ट करें और पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्क से संबंधों को उजागर करें।

प्रतिनिधिमंडल में शशि थरूर के अलावा झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से सरफराज अहमद, तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) से गंटी हरीश बालयोगी, भाजपा से शशांक मणि त्रिपाठी, भुवनेश्वर कलिता और तेजस्वी सूर्या, शिवसेना से मिलिंद देवड़ा, और अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत सिंह संधू शामिल हैं।

यह प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन पहुंचने से पहले गुयाना, पनामा, कोलंबिया और ब्राजील का दौरा कर चुका है। अमेरिका में भी प्रतिनिधिमंडल भारत के रुख को सशक्त तरीके से प्रस्तुत कर रहा है।

पीटीआई से बात करते हुए प्रतिनिधिमंडल के सदस्य मिलिंद देवड़ा ने कहा, “भारत के लिए अब बहुत हो चुका है। हम विश्व को स्पष्ट रूप से यह संदेश दे रहे हैं कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा।” उन्होंने बताया कि अब तक के दौरों में जिन-जिन देशों से वे मिले हैं, सभी ने “भारत के समर्थन में स्पष्ट और लगभग बिना शर्त बयान” दिए हैं।

देवड़ा ने कहा, “हम शांति चाहते हैं और अपने पड़ोसी देश की स्थिरता भी। लेकिन कोई भी देश अपने पड़ोस में अस्थिर और अव्यवस्थित नेतृत्व को सहन नहीं कर सकता।”

तेजस्वी सूर्या ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा फैलाए गए आतंकवाद के लिए अब किसी देश में सहानुभूति नहीं बची है। उन्होंने बताया कि जिन देशों का दौरा किया गया, उन्होंने भारत के सैन्य उत्तर को पूरी तरह से समझा और समर्थन भी किया।

पाकिस्तान के उसी दिन वाशिंगटन पहुंचने वाले प्रतिनिधिमंडल को लेकर देवड़ा ने कहा, “अमेरिका में अब किसी को कोई भ्रम नहीं है कि पाकिस्तान एक विफल राष्ट्र है—एक आतंकवादी निर्यातक देश, जिसकी सत्ता सेना के हाथों में है और नागरिक सरकार नाम मात्र की है। इसलिए उनका प्रतिनिधिमंडल ‘कॉपी-पेस्ट’ रणनीति के अलावा कुछ नहीं है।”

सूर्या ने कहा कि पाकिस्तान की हमेशा से भारत की नकल करने की आदत रही है, लेकिन वह एक सस्ती और असफल नकल बनकर रह जाता है। उन्होंने कहा, “दुनिया जानती है कि भारत किन मूल्यों के लिए खड़ा है और पाकिस्तान किनके लिए।”

उन्होंने यह भी कहा कि भारत में निवेश करना लोकतंत्र, जिम्मेदारी और वैश्विक प्रगति में निवेश करने के बराबर है। इसके उलट, पिछले 20-30 वर्षों में जो भी वैश्विक आतंकी घटनाएं हुईं, उनमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पाकिस्तान का नाम आया है।

सूर्या ने बताया कि पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित 50 से अधिक आतंकवादी खुलेआम पनाह ले रहे हैं। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान जैसे देश को अब कोई पूर्व विदेश मंत्री, जो अंग्रेजी में अच्छे संवाद करता है, वह भी नहीं बचा सकता। पाकिस्तान का चेहरा खून से सना है, जिसे कोई रातोंरात नाटक धो नहीं सकता।”

उल्लेखनीय है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक भीषण आतंकी हमला हुआ था, जिसके जवाब में भारत ने 7 मई की सुबह पाकिस्तान और पाकिस्तान-शासित कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए।

इसके जवाब में पाकिस्तान ने 8 से 10 मई तक भारत के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की, जिसका भारत ने कड़ा जवाब दिया।

आखिरकार, 10 मई को दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों के बीच बातचीत के बाद सैन्य कार्रवाई को रोकने पर सहमति बनी और सीमा पर तनाव में कुछ कमी आई।

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