अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ रविवार को ओमान में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची से मुलाकात करेंगे। यह बैठक हाल ही में अमेरिका द्वारा पेश किए गए परमाणु समझौते के प्रस्ताव पर ईरान की प्रतिक्रिया को लेकर होगी। इस बारे में जानकारी एक अमेरिकी अधिकारी ने बुधवार देर रात दी।
ईरान ने सोमवार को कहा था कि वह अमेरिका को जल्द ही एक प्रति-प्रस्ताव सौंपेगा। यह जवाब अमेरिका के उस प्रस्ताव पर आधारित होगा जिसे तेहरान ने “अस्वीकार्य” करार दिया है। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि वार्ता जारी रहेगी, लेकिन उन्हें इस बात पर भरोसा नहीं है कि ईरान यूरेनियम संवर्धन रोकने के लिए किसी भी समझौते पर सहमत होगा।
ट्रम्प एक नए परमाणु समझौते की मांग कर रहे हैं, जो ईरान की विवादित यूरेनियम संवर्धन गतिविधियों पर सख्त सीमाएं लगाए। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि समझौता नहीं हुआ, तो ईरान पर सैन्य कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि, ईरान बार-बार यह स्पष्ट करता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है और उसका परमाणु हथियार बनाने का कोई इरादा नहीं है। उसका उद्देश्य केवल ऊर्जा उत्पादन और अन्य शांतिपूर्ण परियोजनाओं में तकनीकी विकास करना है।
गौरतलब है कि ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल में अमेरिका को 2015 के ईरान परमाणु समझौते से अलग कर लिया था। उस समझौते के तहत ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर सीमाएं लगाने के बदले में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से राहत पाई थी। ईरान और अमेरिका के बीच तनाव दशकों पुराना है। तेहरान आरोप लगाता है कि अमेरिका ने 1953 के तख्तापलट से लेकर 2020 में उसके सैन्य कमांडर की ड्रोन हमले में हत्या तक कई बार उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया है।
वहीं, अमेरिका ने भी ईरान पर हमास (गाज़ा), हिज़्बुल्लाह (लेबनान) और हौथी विद्रोहियों (यमन) जैसे संगठनों को समर्थन देने का आरोप लगाया है। वाशिंगटन का कहना है कि ईरान इन आतंकवादी समूहों के जरिए इज़रायल और अमेरिका के क्षेत्रीय हितों के लिए खतरा बना हुआ है। दूसरी ओर, ये समूह खुद को “प्रतिरोध की धुरी” बताते हैं जो मध्य पूर्व में अमेरिकी और इज़रायली प्रभाव के विरुद्ध खड़े हैं।
बढ़ते तनाव को देखते हुए ट्रम्प ने बुधवार को कहा कि मध्य पूर्व एक खतरनाक जगह हो सकती है, और इसी वजह से वहां से कुछ अमेरिकी कर्मियों को हटाया जा रहा है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब क्षेत्र में अस्थिरता गहराती जा रही है और अमेरिका और ईरान के बीच वार्ताएं रुकावटों में उलझी हैं। इसके साथ ही अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का कहना है कि इज़रायल ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हमले की योजना बना रहा है, जिससे स्थिति और भी जटिल हो सकती है।
यह बैठक और आने वाले दिन इस बात को तय करेंगे कि क्या ईरान और अमेरिका किसी नई डील पर सहमत हो पाते हैं या तनाव और बढ़ेगा।