घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट और विदेशी पूंजी के लगातार बाहर जाने के चलते सोमवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 4 पैसे गिरकर 84.11 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि घरेलू बाजार में करीब 1.18% की गिरावट के कारण भारतीय रुपये पर दबाव बढ़ा। साथ ही, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और विदेशी निवेशकों (एफआईआई) के बाजार से पैसे निकालने के चलते भी रुपये में गिरावट देखने को मिली। हालांकि, अमेरिकी डॉलर की हल्की कमजोरी ने रुपये की गिरावट को ज्यादा नहीं बढ़ने दिया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 84.07 पर खुला और पूरे सत्र में 84.06 से 84.12 के बीच उतार-चढ़ाव करता रहा। आखिर में रुपया 84.11 के स्तर पर बंद हुआ, जो इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है। गुरुवार को रुपया 84.07 पर बंद हुआ था, जबकि शुक्रवार को दिवाली के कारण बाजार बंद थे।
दूसरी ओर, अमेरिकी डॉलर की मजबूती मापने वाला डॉलर इंडेक्स 0.52% गिरकर 103.73 पर आ गया। अमेरिका में खराब मैन्युफैक्चरिंग और नौकरियों के आंकड़ों के कारण डॉलर में यह गिरावट आई।
शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी ने कहा कि अमेरिका में अक्टूबर में केवल 12,000 नई नौकरियां जोड़ी गईं, जो कि 106,000 की उम्मीद से काफी कम है। साथ ही, आईएसएम मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई अक्टूबर में 46.5 पर रहा, जो कि अपेक्षित 47.6 से नीचे है। इन आंकड़ों के कारण अमेरिकी डॉलर में कमजोरी आई।
ब्रेंट क्रूड वायदा (कच्चा तेल) में भी 2.63% का उछाल आया और यह 75.02 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
अनुज चौधरी ने कहा कि घरेलू बाजारों में कमजोरी और विदेशी निवेशकों की निकासी से रुपये पर दबाव बना रह सकता है। लेकिन, अमेरिकी डॉलर की कमजोरी के कारण रुपये को निचले स्तरों पर समर्थन मिल सकता है।
चौधरी ने यह भी कहा कि यूएसडी-आईएनआर की कीमतें 83.95 से 84.30 के दायरे में रह सकती हैं।
भारतीय शेयर बाजार में भी गिरावट देखने को मिली। बीएसई सेंसेक्स 941.88 अंक या 1.18% गिरकर 78,782.24 पर बंद हुआ और निफ्टी 309 अंक या 1.27% गिरकर 23,995.35 पर आ गया। विदेशी निवेशकों ने शुक्रवार को 211.93 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक, 25 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 3.463 अरब डॉलर घटकर 684.805 अरब डॉलर रह गया।