बीजिंग और वाशिंगटन के बीच लंबे समय से जारी व्यापार युद्ध एक नए मोड़ पर आता दिख रहा है। चीनी सरकारी मीडिया से जुड़े एक सोशल मीडिया अकाउंट ‘यूयुआन तांतियन’ ने हाल ही में दावा किया है कि अमेरिका ने चीन के साथ टैरिफ (शुल्क) मुद्दे पर बातचीत शुरू करने के लिए सक्रिय रूप से कई माध्यमों से संपर्क किया है।
अमेरिकी टैरिफ पर चर्चा की कोशिश
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, वीबो पर एक पोस्ट में बताया गया कि अमेरिका ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में लगाए गए 145% तक के टैरिफ पर चर्चा करने की इच्छा जताई है। यह दावा ऐसे समय आया है जब चीन ने हाल के सप्ताहों में अमेरिका की तीखी आलोचना की है, लेकिन अब यह एक संभावित कूटनीतिक बदलाव का संकेत देता है।
चीन की प्रतिक्रिया: बातचीत की जरूरत तभी जब अमेरिका संजीदगी दिखाए
उसी पोस्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि अमेरिका को बातचीत के लिए ठोस कदम उठाने होंगे; केवल उसी स्थिति में चीन बातचीत के लिए तैयार होगा। हालांकि यह भी कहा गया कि यदि अमेरिका संपर्क करता है, तो “इस स्तर पर बातचीत से परहेज करने की कोई वजह नहीं है।”
रॉयटर्स द्वारा उद्धृत पोस्ट में आगे कहा गया कि चीन को परिस्थिति पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए और यदि आवश्यक हो तो बातचीत और टकराव दोनों के पीछे छिपे असली इरादों को समझने की कोशिश करनी चाहिए।
लंबे समय से अमेरिका की नीतियों की आलोचना
बीजिंग पहले भी अमेरिकी टैरिफ को “आर्थिक बदमाशी” और “चीन के विकास को रोकने की साजिश” करार देता रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय ने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिका अन्य देशों पर दबाव डालकर चीन को अलग-थलग करने की रणनीति अपना रहा है, जिसे उसने “90-दिवसीय विराम खेल” कहा।
अब तक, चीन का जवाब अधिकतर अवज्ञात्मक रहा है, और उसने घरेलू तथा वैश्विक मंचों पर अमेरिकी उपायों की आलोचना की है।
चुपचाप दी गई कुछ टैरिफ छूट
इसके विपरीत, पर्दे के पीछे चीन ने कुछ अमेरिकी उत्पादों — जैसे फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर और जेट इंजन — को अपने 125% के टैरिफ से चुपचाप छूट देनी शुरू की है। इसका उद्देश्य था अपनी घरेलू कंपनियों को झटकों से बचाते हुए, सार्वजनिक रूप से सख्त रुख बनाए रखना।
ट्रंप टैरिफ के प्रभाव और भविष्य की चिंता
नोमुरा सिक्योरिटीज के विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिकी टैरिफ 35% से ऊपर बने रहते हैं, तो इससे दीर्घकालिक आर्थिक असर पड़ सकता है। उनका अनुमान है कि यदि अमेरिका को निर्यात में 50% की कटौती होती है, तो लगभग 1.6 करोड़ (16 मिलियन) चीनी नौकरियाँ खतरे में पड़ सकती हैं।
चीन का सावधानीपूर्ण दृष्टिकोण
टैरिफ पर छूट और ‘यूयुआन तांतियन’ की पोस्ट इस बात की ओर इशारा करती हैं कि चीन अब एक अधिक मापा और रणनीतिक दृष्टिकोण अपना रहा है। हालांकि सार्वजनिक मंचों पर चीन की स्थिति अब भी मजबूत और टकरावपूर्ण बनी हुई है।
चीन का खंडन और अमेरिका का दावा
बावजूद इसके, जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने यह दावा किया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें टैरिफ वार्ता के लिए फोन किया था, तो बीजिंग ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया और अमेरिका पर “जनता को भ्रमित करने” का आरोप लगाया।
बातचीत के लिए शर्तें
हालांकि चीन ने यह संकेत जरूर दिया है कि वह बातचीत के लिए तैयार है — लेकिन इस शर्त पर कि चर्चा समानता, आपसी सम्मान और पारस्परिक लाभ के सिद्धांत पर आधारित होनी चाहिए। अब देखना यह है कि वाशिंगटन इस मानक पर कितना खरा उतरता है।
क्या आप इस विषय पर और गहराई से जानना चाहेंगी, जैसे कि टैरिफ कैसे काम करते हैं या इससे भारत पर क्या असर पड़ सकता है?