अमेरिका और चीन ने व्यापार तनाव को कम करने के उद्देश्य से एक अस्थायी समझौते पर सहमति जताई है, जिसके तहत दोनों देश अगले तीन महीनों के लिए एक-दूसरे के उत्पादों पर लगाए गए भारी शुल्कों में 115% की संयुक्त कटौती करेंगे। यह समझौता जिनेवा में जारी एक संयुक्त बयान के माध्यम से सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि यह कदम दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को आपसी मतभेद सुलझाने का अवसर देगा।
संयुक्त बयान और सोमवार को आयोजित एक प्रेस ब्रीफिंग के अनुसार, अमेरिका द्वारा अधिकांश चीनी आयातों पर लगाए गए कुल 145% शुल्क को घटाकर 30% तक कर दिया जाएगा। इसमें फेंटेनाइल से जुड़े शुल्क भी शामिल हैं। वहीं, चीन द्वारा अमेरिकी वस्तुओं पर लगाए गए 125% शुल्क को घटाकर 10% कर दिया जाएगा।
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “फेंटेनाइल पर हमारे बीच काफी मजबूत और उपयोगी बातचीत हुई। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि अलगाव की स्थिति कोई नहीं चाहता।”
बयान में यह भी उल्लेख किया गया कि दोनों देश आपसी आर्थिक और व्यापारिक संबंधों पर चर्चा जारी रखने के लिए एक विशेष तंत्र स्थापित करेंगे, ताकि दीर्घकालिक समाधान की दिशा में प्रयास किए जा सकें।
यह घोषणा दोनों देशों के बीच जारी टैरिफ युद्ध को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है। इस युद्ध के कारण प्रशांत क्षेत्र में व्यापार में भारी गिरावट आई थी। इससे पहले, दोनों देशों ने अपनी बातचीत में “पर्याप्त प्रगति” की बात कही थी, जिससे बाजारों में सकारात्मक संकेत देखने को मिले थे। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 2 अप्रैल को टैरिफों के “मुक्ति दिवस” की घोषणा के बाद से चीनी शेयर बाजार को भी मजबूती मिली है।
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर ने कहा, “हम चीन के साथ अधिक संतुलित व्यापारिक संबंध चाहते हैं।”
हालांकि व्हाइट हाउस ने रविवार को एक प्रारंभिक बयान में इस समझौते को एक “व्यापार सौदे” के रूप में वर्णित किया, लेकिन यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि दोनों पक्षों के लिए वास्तविक लक्ष्य क्या हैं और उन्हें हासिल करने में कितना समय लगेगा। चीन पहले ही यह मांग कर चुका है कि अमेरिका वर्ष 2025 में लगाए गए सभी टैरिफ को पूरी तरह हटा दे, लेकिन यह अमेरिका के व्यापार घाटा कम करने के उद्देश्य से मेल नहीं खाता।
हालांकि बाजारों ने इस हालिया प्रगति का स्वागत किया है, लेकिन पूर्व का अनुभव दर्शाता है कि किसी व्यापक और स्थायी समझौते तक पहुँचने में समय लग सकता है। 2018 में भी दोनों देशों ने वार्ता के बाद अस्थायी रूप से विवाद को “स्थगित” किया था, लेकिन अमेरिका बाद में उस समझौते से हट गया था। इसके बाद जनवरी 2020 में “चरण एक” समझौता हुआ, जिसके लिए 18 महीने तक बातचीत और टैरिफ का दौर चलता रहा।
अंततः चीन उस समझौते में तय की गई खरीद प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं कर पाया और कोविड-19 महामारी के दौरान अमेरिका का व्यापार घाटा और अधिक बढ़ गया, जिसने इस वर्तमान व्यापार युद्ध को जन्म दिया।