Monday, December 9, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर ‘स्थायी प्रतिबंध’ लगाने का आह्वान किया

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई क्योंकि दिवाली के बाद राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय सही तरीके से लागू नहीं किए गए थे। न्यायमूर्ति एस. ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध को ठीक से लागू नहीं किया गया, जिसके चलते दिवाली के समय प्रदूषण का स्तर अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से यह दिखाने के लिए कहा कि उन्होंने इस प्रतिबंध को कैसे लागू किया।

पीठ ने दिल्ली सरकार से इस मामले में तुरंत जवाब देने के लिए कहा। साथ ही पूछा कि प्रदूषण को रोकने की जिम्मेदारी किसकी थी, और क्या यह प्रतिबंध पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत लागू किया गया था। कोर्ट ने पटाखों पर ‘स्थायी प्रतिबंध’ लगाने का सुझाव दिया और कहा कि अगली दिवाली से पहले लोगों को जागरूक करने के लिए एक अभियान भी चलाना चाहिए, ताकि वे समझ सकें कि पटाखों से होने वाला प्रदूषण कितना हानिकारक है।

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को भी एक नोटिस भेजा और सरकार और पुलिस से कहा कि ऐसा तंत्र बनाएं जिससे अगले साल की दिवाली पर यह समस्या दोबारा न हो।

सोमवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में थी, लेकिन बाद में इसमें थोड़ी सुधार हुआ और ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आ गई। AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) के अनुसार, दोपहर 3 बजे तक दिल्ली का AQI 383 था, जो गंभीर प्रदूषण का स्तर है।

हालांकि, दिल्ली सरकार ने 2017 में पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था, फिर भी दिवाली के समय बड़ी संख्या में लोग पटाखे जलाते हैं, जिससे प्रदूषण काफी बढ़ जाता है। 2023 में भी दिवाली की रात PM2.5 का स्तर सामान्य दिनों से लगभग 100 प्रतिशत ज्यादा था।

दिल्ली के प्रदूषण में पड़ोसी राज्यों जैसे पंजाब और हरियाणा में फसल अवशेष जलाने का भी बड़ा योगदान है। सर्दियों के मौसम में ठंड और धुंध के कारण यह प्रदूषण हवा में रुक जाता है, जिससे स्थिति और खराब हो जाती है।

एक सर्वेक्षण में पता चला कि दिल्ली में लगभग 69 प्रतिशत परिवारों में प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के मामले सामने आ रहे हैं, जैसे कि गले में खराश, सांस की तकलीफ, और खांसी।

लोकल सर्कल्स नामक डिजिटल प्लेटफॉर्म ने दिल्ली-एनसीआर के 21,000 से अधिक लोगों का सर्वेक्षण किया, जिसमें पाया गया कि 62 प्रतिशत परिवारों में लोगों की आंखों में जलन हो रही है, और 46 प्रतिशत में किसी को बहती नाक या जकड़न की समस्या हो रही है।

इस प्रकार, दिल्ली में बढ़ता वायु प्रदूषण न केवल स्वास्थ्य पर बल्कि दैनिक जीवन पर भी गंभीर प्रभाव डाल रहा है।

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