पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकारी स्कूलों में 25,000 शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द करने के फैसले पर असंतोष व्यक्त किया। यह निर्णय उनकी सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
बनर्जी ने कहा, “क्या भाजपा बंगाल की शिक्षा प्रणाली को ध्वस्त करना चाहती है?”
उन्होंने प्रभावित लोगों को आश्वासन देते हुए कहा, “मैं नौकरी खो चुके लोगों से मिलूंगी और उन्हें उम्मीद बनाए रखने के लिए कहूंगी।”
बनर्जी ने आगे बताया कि उनकी सरकार उम्मीदवारों के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा, “हमारे वकील इस मामले की समीक्षा करेंगे। मैं जानती हूं कि उम्मीदवार निराश हैं। मैं 7 अप्रैल को नेताजी इंडोर स्टेडियम में उनसे मिलूंगी। मैं मानवीय आधार पर उनके साथ हूं। अगर भाजपा इस कारण मुझे जेल भेजना चाहती है, तो वे भेज सकते हैं। अगर आप इसके लिए तैयार हैं, तो मुझे गिरफ्तार कर लीजिए।”
टीएमसी का भाजपा पर हमला
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भाजपा और केंद्र सरकार पर पश्चिम बंगाल को राजनीतिक रूप से निशाना बनाने का आरोप लगाया।
ममता बनर्जी ने कहा, “एसएससी एक स्वायत्त निकाय है। हम सरकार के रूप में उनके काम में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। अगर न्यायालय ने (नई चयन प्रक्रिया के लिए) तीन महीने का समय दिया है, तो हम मानवीय आधार पर उम्मीदवारों के साथ खड़े हैं।”
इसके साथ ही, बनर्जी ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यदि नई सरकार सत्ता में आती है, तो वह वक्फ विधेयक में संशोधन करेंगी। उन्होंने कहा, “जब भाजपा की सरकार हटेगी और नई सरकार बनेगी, तो हम वक्फ विधेयक को निष्प्रभावी करने के लिए संशोधन लाएंगे।”
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया में “बड़े पैमाने पर हेरफेर और धोखाधड़ी” का हवाला देते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा।
सीजेआई संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा, “बड़े पैमाने पर और व्यापक हेरफेर के कारण पूरी चयन प्रक्रिया दूषित और कलंकित हो गई थी।”
उन्होंने आगे कहा, “हमने तथ्यों की जांच की है। इस मामले में पूरी चयन प्रक्रिया हेरफेर और धोखाधड़ी से प्रभावित है, जिससे इसकी विश्वसनीयता और वैधता समाप्त हो गई है। दागी उम्मीदवारों को बर्खास्त किया जाना चाहिए क्योंकि उनकी नियुक्तियाँ धोखाधड़ी के परिणामस्वरूप हुई थीं।”
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पहले से कार्यरत शिक्षकों को अपने वेतन की राशि वापस करने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा, उन गैर-दागी उम्मीदवारों को, जिन्होंने शिक्षक बनने से पहले किसी अन्य सरकारी नौकरी में थे, उन्हें अपने पुराने पदों पर लौटने की अनुमति दी गई है। अदालत ने सरकारी और राज्य-सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया।
भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएँ
यह विवाद पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (SSC) द्वारा आयोजित 2016 की भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है।
इस प्रक्रिया में 24,640 पदों के लिए 23 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, जबकि 25,753 नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने ओएमआर शीट से छेड़छाड़ और मेरिट लिस्ट में हेरफेर के सबूत पाए, जिससे नियुक्तियों को बड़े पैमाने पर रद्द कर दिया गया।
7 मई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी थी लेकिन सीबीआई को अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी थी।
उच्च न्यायालय ने यह भी फैसला सुनाया था कि जिन लोगों को स्वीकृत रिक्तियों से अधिक, भर्ती की समय सीमा के बाद, या खाली ओएमआर शीट जमा करने के बावजूद नौकरी मिली थी, उन्हें अपने वेतन और अन्य लाभ 12% ब्याज के साथ वापस करने होंगे।