Sunday, April 27, 2025

वैश्विक व्यापार युद्ध के बीच चीन ने ट्रंप के टैरिफ का मुकाबला करने की कसम खाई

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन से आने वाले सभी आयातों पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद चीन ने इसका कड़ा विरोध करते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। यह अमेरिका की व्यापार नीति में बड़े बदलाव का संकेत देता है।

ट्रंप का बड़ा फैसला

ट्रंप ने बुधवार को घोषणा की कि अमेरिका में सभी चीनी आयातों पर 54% टैरिफ लगाया जाएगा। यह कदम अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध को और तेज कर सकता है।

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने गुरुवार सुबह एक बयान जारी कर कहा, “चीन इस फैसले का दृढ़ता से विरोध करता है और अपने अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए ठोस जवाबी कदम उठाएगा।” मंत्रालय ने इस कदम को “एकतरफा धमकाने वाला अभ्यास” बताया और अमेरिका से टैरिफ को वापस लेने का आग्रह किया।

बयान में आगे कहा गया, “संयुक्त राज्य अमेरिका ने बिना किसी ठोस आधार के ‘पारस्परिक टैरिफ’ लगाए हैं, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के खिलाफ है और इससे व्यापारिक साझेदारों को गंभीर नुकसान होगा।”

चीन पर बढ़ा दबाव

ट्रंप की घोषणा के अनुसार, मौजूदा 20% टैरिफ के साथ अब 34% अतिरिक्त “पारस्परिक” टैरिफ जोड़ दिया गया है। जनवरी में दोबारा सत्ता में आने के बाद ट्रंप ने पहले ही दो बार 10% अतिरिक्त शुल्क लगा दिया था। व्हाइट हाउस का कहना है कि यह कदम अमेरिका में अवैध फेंटेनाइल के प्रवाह को रोकने के लिए जरूरी था।

रोज गार्डन में अपने संबोधन के दौरान ट्रंप ने न केवल चीन बल्कि अन्य एशियाई देशों के लिए भी टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की। नए टैरिफ के तहत वियतनाम पर 46% और कंबोडिया पर 49% का शुल्क लगाया जाएगा।

चीन की प्रतिक्रिया

ट्रंप की इस नीति को लेकर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। अतीत में, चीन ने अमेरिकी कृषि उत्पादों और औद्योगिक सामानों पर टैरिफ लगाकर जवाब दिया था। साथ ही, उसने महत्वपूर्ण खनिजों के निर्यात पर भी नियंत्रण बढ़ाया है, जिससे अमेरिकी कंपनियों पर दबाव डाला जा सके।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार चीन और अधिक रणनीतिक तरीके से जवाब दे सकता है। अमेरिका स्थित ‘फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज’ के वरिष्ठ फेलो क्रेग सिंगलटन ने कहा, “चीन व्यापक प्रतिशोध की बजाय एक सुनियोजित रणनीति अपना सकता है। इसमें अमेरिकी कृषि और औद्योगिक मशीनरी पर टैरिफ, प्रमुख अमेरिकी कंपनियों को निशाना बनाना और महत्वपूर्ण संसाधनों पर निर्यात नियंत्रण शामिल हो सकता है।”

अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों का भविष्य

विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के 54% टैरिफ से अमेरिका और चीन के व्यापारिक संबंधों में बड़ा बदलाव आ सकता है। 2024 में अमेरिका और चीन के बीच व्यापार का अनुमानित मूल्य $582.4 बिलियन था। अब इस नए टैरिफ के कारण दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं और अधिक अलग हो सकती हैं।

इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट के एशिया प्रमुख अर्थशास्त्री निक मार्रो ने कहा, “यह कदम अमेरिका-चीन आर्थिक अलगाव को लेकर नई बहस छेड़ सकता है। इससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों को चीन में अपने संचालन को फिर से आंकने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।”

मार्रो ने आगे कहा कि चीन वैश्विक उत्पादन नेटवर्क का एक अहम हिस्सा है, इसलिए कंपनियों के लिए चीन से अपना कारोबार हटाना आसान नहीं होगा। इसके अलावा, वियतनाम और कंबोडिया जैसे देश, जहां कंपनियां अपने उत्पादन को स्थानांतरित कर रही थीं, वे भी अब अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव में आ गए हैं।

चीन के लिए चुनौतियां

चीन पहले से ही आर्थिक सुस्ती का सामना कर रहा है। हाल के हफ्तों में बीजिंग ने घरेलू खपत को बढ़ाने और आर्थिक गतिविधियों को तेज करने के प्रयास किए हैं। लेकिन नए अमेरिकी टैरिफ से चीन की अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त दबाव बढ़ सकता है।

मार्रो के अनुसार, अमेरिका चीन की व्यापारिक नीतियों, सरकारी सब्सिडी, बौद्धिक संपदा की जबरन साझेदारी और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जैसे मुद्दों को लेकर पहले से ही नाराज है। इससे और अधिक टैरिफ लगाए जाने की संभावना है। उन्होंने कहा, “यदि चीन ने कड़ा रुख अपनाया, तो यह संघर्ष और बढ़ सकता है।”

संभावित जवाबी कार्रवाई

विश्लेषकों का मानना है कि इस बार चीन सटीक रणनीति के साथ जवाब देगा। चीन के पास अमेरिका पर दबाव डालने के कई तरीके हैं। सिंगलटन के अनुसार, चीन अमेरिकी कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों को खासतौर पर निशाना बना सकता है, जिससे ट्रंप के घरेलू समर्थकों पर असर पड़ेगा।

उन्होंने कहा, “शी जिनपिंग के लिए मुश्किल यह होगी कि वह न तो बहुत नरम पड़ें और न ही बहुत आक्रामक दिखें। ज्यादा नरम होने से वे कमजोर नजर आएंगे, जबकि ज्यादा आक्रामक होने से व्यापार युद्ध और भड़क सकता है।”

वैश्विक प्रभाव

ट्रंप के टैरिफ का असर अमेरिका और चीन के अलावा अन्य देशों पर भी पड़ेगा। जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसी अर्थव्यवस्थाओं को अब अपने व्यापारिक रिश्तों का पुनर्मूल्यांकन करना पड़ सकता है।

अमेरिकी थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो और ताइवान के पूर्व विधायक जेसन हसू ने कहा, “जापान और दक्षिण कोरिया सीधे अमेरिका के खिलाफ नहीं जा सकते, लेकिन वे चीन के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत कर सकते हैं।”

बीजिंग ने हाल के हफ्तों में खुद को वैश्विक व्यापार के समर्थक के रूप में प्रस्तुत किया है और यूरोप तथा एशिया की कंपनियों को आकर्षित करने का प्रयास किया है। यदि अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ व्यापारिक संबंधों को और अधिक जटिल बनाता है, तो चीन को फायदा हो सकता है ।

ट्रंप की टैरिफ नीति से अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध एक नए चरण में प्रवेश कर गया है। चीन इस कदम का विरोध कर रहा है और रणनीतिक जवाबी कदम उठाने की तैयारी में है। आने वाले महीनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस व्यापारिक टकराव से वैश्विक अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान होता है और अमेरिका तथा चीन अपने व्यापारिक संबंधों को किस दिशा में ले जाते हैं।

Latest news
Related news