Tuesday, May 27, 2025

लेखा अनियमितता की ताजा जांच के कारण इंडसइंड बैंक के शेयरों में 3% की गिरावट

इंडसइंड बैंक के आंतरिक लेखा परीक्षा विभाग द्वारा एक और लेखा अनियमितता की जांच किए जाने की खबरों के बीच गुरुवार को बैंक के शेयरों में 3 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी गई।

बाजार में दिन के दौरान बैंक के शेयरों में 3.01 प्रतिशत की गिरावट आई और यह ₹757.80 प्रति शेयर तक गिर गया। हालांकि, बाद में इसमें कुछ सुधार हुआ और यह 0.88 प्रतिशत की गिरावट के साथ ₹774 प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा था। इसी समय, निफ्टी 50 में सुबह 10:15 बजे तक 0.36 प्रतिशत की गिरावट देखी गई।

इस महीने की शुरुआत में इंडसइंड बैंक के शेयरों ने हालिया उच्च स्तर ₹863 को छुआ था, लेकिन तब से इसमें 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आ चुकी है। मार्च में डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में विसंगतियों के सामने आने के बाद भी शेयर में भारी गिरावट आई थी। वर्ष 2025 की शुरुआत से अब तक बैंक के शेयर में 19 प्रतिशत की गिरावट हो चुकी है, जबकि इसी अवधि में बेंचमार्क निफ्टी 50 ने 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है।

नई लेखा अनियमितताओं की जांच

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इंडसइंड बैंक का आंतरिक लेखा परीक्षा विभाग अब पहले सामने आई लेखा गड़बड़ियों की एक श्रृंखला की जांच कर रहा है। इन गड़बड़ियों की ओर सबसे पहले एक व्हिसलब्लोअर द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और बैंक के निदेशक मंडल को भेजे गए पत्र में संकेत दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ये गड़बड़ियां बैंक द्वारा अब तक सार्वजनिक की गई जानकारियों से अलग हैं। इसमें ‘अन्य संपत्तियाँ’ और ‘अन्य देनदारियाँ’ जैसी लेखा प्रविष्टियाँ शामिल हैं, जो बैंक के वित्तीय विवरणों में परिचालन व्यय के अंतर्गत आती हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि ये विसंगतियां किस वित्तीय वर्ष से संबंधित हैं।

बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस रिपोर्ट की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की है, और फिलहाल तक बैंक की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

CEO का इस्तीफा

पिछले महीने के अंत में, इंडसइंड बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुमंत कठपालिया ने डेरिवेटिव चूक के चलते “नैतिक जिम्मेदारी” लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। इस चूक के कारण बैंक को करीब ₹2,000 करोड़ का नुकसान हुआ। इससे पहले बैंक के डिप्टी सीईओ अरुण खुराना ने भी इस्तीफा दिया था।

डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में विसंगतियां

यह इस्तीफा उस समय आया जब बैंक ने PricewaterhouseCoopers (PwC) को एक बाहरी एजेंसी के रूप में नियुक्त कर आंतरिक समीक्षा के निष्कर्षों को सत्यापित करने को कहा। PwC ने बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में विसंगतियों की पुष्टि की और कहा कि इसका जून 2024 तक ₹1,979 करोड़ का नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

PwC की रिपोर्ट के आधार पर बैंक ने बताया कि इन विसंगतियों के कारण दिसंबर 2024 तक उसके नेटवर्थ पर कर-पश्चात 2.27 प्रतिशत का प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में बैंक की नेटवर्थ ₹65,102 करोड़ थी।

इससे पहले, 10 मार्च को बैंक ने शेयर बाजारों को सूचित किया था कि आंतरिक समीक्षा में डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में विसंगतियां पाई गई हैं, जिनका अनुमानित प्रभाव दिसंबर 2024 तक बैंक की नेटवर्थ पर 2.35 प्रतिशत या लगभग ₹1,530 करोड़ होगा।

इन घटनाक्रमों के चलते बैंक पर निवेशकों का भरोसा कमजोर पड़ा है, जिसका सीधा असर इसके शेयर मूल्य पर पड़ा है। लेखा पारदर्शिता को लेकर उठे सवालों ने बैंक की प्रतिष्ठा पर भी गंभीर असर डाला है।

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