भारत के कप्तान रोहित शर्मा ने भारत के गौरवशाली क्रिकेट इतिहास में एक और चमकदार अध्याय जोड़ने के बाद “साइलेंट हीरो” श्रेयस अय्यर की विशेष सराहना की।
भारत ने रविवार को खेले गए फाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड को चार विकेट से हराकर आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का खिताब अपने नाम किया। यह भारत की तीसरी चैंपियंस ट्रॉफी जीत थी। इससे पहले भारत ने 2002 (श्रीलंका के साथ संयुक्त रूप से) और 2013 में यह प्रतिष्ठित ट्रॉफी जीती थी।
श्रेयस अय्यर बने टीम के “साइलेंट हीरो”
पूरे टूर्नामेंट के दौरान भारत का मध्यक्रम टीम की रीढ़ की तरह काम करता रहा। जब भी शीर्ष क्रम लड़खड़ाया, मध्यक्रम के बल्लेबाजों ने मोर्चा संभाला और टीम को स्थिरता दी। इसी सिलसिले में कप्तान रोहित शर्मा ने खासतौर पर श्रेयस अय्यर का जिक्र किया, जिन्होंने पूरे टूर्नामेंट में कई अहम पारियां खेलकर टीम को संकट से उबारा।
रोहित शर्मा ने मैच के बाद कहा,
“मुझे इस टीम पर बेहद गर्व है। हमें पहले से पता था कि परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण होंगी, लेकिन हमने खुद को अच्छे से ढाल लिया। अगर आप पूरे टूर्नामेंट को देखें, तो हमारा पहला मैच बांग्लादेश के खिलाफ था। हमें सिर्फ 230 रन का पीछा करना था, लेकिन हमें यह भी पता था कि विकेट धीमा था। ऐसे में साझेदारियां बेहद जरूरी थीं, और बल्लेबाजों ने वही किया।”
उन्होंने आगे कहा,
“पूरे टूर्नामेंट में एक खिलाड़ी, जिसे लोग शायद कम आंक रहे थे, लेकिन जो हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ, वह श्रेयस अय्यर थे। उन्होंने मध्यक्रम में शानदार बल्लेबाजी की। खासतौर पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में उन्होंने विराट कोहली के साथ अहम साझेदारी निभाई।”
फाइनल में श्रेयस अय्यर की महत्वपूर्ण पारी
न्यूजीलैंड के खिलाफ फाइनल में भी श्रेयस अय्यर ने 48 रन की अहम पारी खेली और पूरे टूर्नामेंट में भारत के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बने। उन्होंने पांच मैचों में कुल 241 रन बनाए और टूर्नामेंट के दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे। उनसे आगे सिर्फ न्यूजीलैंड के रचिन रवींद्र रहे, जिन्होंने 263 रन बनाए।
हालांकि अय्यर फाइनल में अर्धशतक से चूक गए, लेकिन उन्होंने अक्षर पटेल के साथ मिलकर चौथे विकेट के लिए 61 रन की महत्वपूर्ण साझेदारी निभाई, जिससे भारत ने 252 रनों के लक्ष्य को हासिल करने की ओर मजबूती से कदम बढ़ाया।
दबाव में दिखाया धैर्य और जिम्मेदारी
अय्यर ने फाइनल मुकाबले में जबरदस्त धैर्य दिखाया और अक्षर पटेल के साथ मिलकर पारी को संवारने में अहम भूमिका निभाई। रोहित ने इसे लेकर कहा,
“जब मैं आउट हुआ, तो हमने तीन विकेट गंवा दिए थे। उस समय हमें 50-70 रनों की साझेदारी की जरूरत थी, जो श्रेयस और अक्षर ने बखूबी निभाई।”
उन्होंने आगे कहा,
“पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के खिलाफ लीग मैचों में भी उन्होंने ऐसा ही प्रदर्शन किया। जब आप परिस्थितियों को समझकर जल्दी से अनुकूलन कर लेते हैं, तो यह टीम के लिए बहुत मददगार साबित होता है।”
गेंदबाजों के प्रदर्शन की भी सराहना
रोहित ने सिर्फ बल्लेबाजों ही नहीं, बल्कि गेंदबाजों की भी जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा,
“हम बल्लेबाजी की बात कर रहे हैं, लेकिन यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि हमारी गेंदबाजी भी शानदार रही। विपक्षी टीमों को 240-250 के स्कोर तक सीमित रखना आसान नहीं होता। विकेट स्पिनरों की मदद कर रहा था, लेकिन यह भी सच है कि हर ओवर में गेंद बहुत ज्यादा स्पिन नहीं कर रही थी। बल्लेबाजों को सीधी गेंदों के लिए भी तैयार रहना पड़ता है।”
उन्होंने कहा,
“हमारी टीम के खिलाड़ियों ने परिस्थितियों को बखूबी समझा और उसी के अनुसार खेला। यही वजह है कि हमने खुद को हर हालात में ढालकर यह ट्रॉफी अपने नाम की।”
निष्कर्ष
भारत की यह ऐतिहासिक जीत सिर्फ शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों या स्टार खिलाड़ियों के दम पर नहीं आई, बल्कि श्रेयस अय्यर जैसे साइलेंट हीरोज ने भी इसे संभव बनाया। उनका योगदान पूरे टूर्नामेंट में बेहद अहम रहा, खासकर कठिन परिस्थितियों में उनके द्वारा निभाई गई पारियां भारत की जीत में निर्णायक साबित हुईं।