Monday, February 10, 2025

रुपया 87 के नीचे लुढ़का, ट्रंप के टैरिफ युद्ध के कारण सेंसेक्स में गिरावट

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रमुख व्यापारिक भागीदारों से आयात पर टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद सोमवार को रुपया 87.28 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। इस घोषणा से व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है। रुपया पिछले बंद भाव से 58 पैसे नीचे 87.19 पर बंद हुआ, जो दो सप्ताह में एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट रही।

अगर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के माध्यम से हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो रुपये की स्थिति और भी कमजोर हो सकती थी। कुछ डीलरों का मानना है कि RBI रुपये को अन्य एशियाई मुद्राओं के अनुरूप समायोजित करने की अनुमति दे रहा है। एशियाई मुद्राओं के साथ-साथ मैक्सिकन पेसो में भी 2% से अधिक की गिरावट आई, जिससे यह लगभग तीन साल के निचले स्तर पर पहुंच गया।

इस गिरावट का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिला। सेंसेक्स 319.2 अंक (0.41%) गिरकर 77,186.7 पर आ गया, जबकि निफ्टी इंडेक्स 121.1 अंक (0.52%) गिरकर 23,361 पर बंद हुआ। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि इस सप्ताह अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव मुद्रा बाजार पर बना रहेगा।

विशेषज्ञों के अनुसार, मजबूत डॉलर रुपये में नकारात्मक रुझान का मुख्य कारण है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FPI) द्वारा लगातार भारतीय शेयरों की बिक्री से स्थिति और भी खराब हो गई है। एफपीआई की शुद्ध बिक्री 1,327 करोड़ रुपये रही।

डॉलर इंडेक्स 1.01% बढ़कर 109.46 पर पहुंच गया, जबकि ब्रेंट क्रूड में 1.41% की वृद्धि हुई और इसकी कीमत 76.74 डॉलर प्रति बैरल हो गई।

वैश्विक व्यापार पर प्रभाव और निवेशकों की चिंता

निवेशक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अमेरिकी टैरिफ वैश्विक व्यापार को कैसे प्रभावित करेंगे, क्योंकि अमेरिका अधिक द्विपक्षीय सौदों की ओर बढ़ रहा है। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बातचीत के माध्यम से टैरिफ में कमी आ सकती है।

डीबीएस बैंक के ट्रेजरी प्रमुख आशीष वैद्य ने कहा, “डॉलर में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है और यह 114 तक पहुंच सकता है, लेकिन यदि निवेशकों को लगेगा कि ये टैरिफ अन्य देशों और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकते हैं, तो डॉलर कमजोर भी हो सकता है।”

RBI की रणनीति पर नजर

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि रुपया और कितना नीचे जा सकता है। यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि RBI क्या कदम उठाता है। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, “आयातकों द्वारा डॉलर खरीदने की होड़ के कारण बाजार में घबराहट देखी जा रही है। यह देखना होगा कि RBI अब डॉलर बेचेगा या बाजार को खुद फैसला लेने देगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि नकदी की उपलब्धता के साथ रुपये की चाल को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि डॉलर बेचने से बाजार में नकदी की कमी हो सकती है। “अब मौद्रिक नीति को लेकर सभी की नजरें RBI पर टिकी हैं,” सबनवीस ने कहा।

अन्य वैश्विक मुद्राओं और बाजारों पर प्रभाव

इस बीच, कनाडाई डॉलर 2003 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया, जबकि यूरो की कीमत डॉलर के बराबर हो गई। ट्रंप ने यूरोपीय वस्तुओं पर भी टैरिफ लगाने का संकेत दिया, जिससे वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई।

बिटकॉइन की कीमतों में भी गिरावट आई, जबकि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई। इसके अलावा, औद्योगिक धातुओं को भी नुकसान हुआ।

अमेरिकी टैरिफ की घोषणा ने वैश्विक वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता बढ़ा दी है। भारतीय रुपये और शेयर बाजारों पर इसका असर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। आने वाले दिनों में निवेशकों और विश्लेषकों की नजर RBI के कदमों और अमेरिकी टैरिफ नीतियों में संभावित बदलाव पर रहेगी।

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