म्यांमार-थाईलैंड सीमा के पास स्थित मिलिशिया-नियंत्रित क्षेत्र म्यावाडी साइबर अपराध गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है। यहाँ विभिन्न देशों के लोग, विशेष रूप से भारतीय नागरिक, फर्जी नौकरी के प्रस्तावों के बहाने फंसाए जा रहे हैं और उन्हें जबरन ऑनलाइन धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र में वर्तमान में लगभग 2,000 भारतीय साइबर घोटाले के संचालन में लिप्त हैं। इनमें से कई लोग ठगी के शिकार हुए हैं, जबकि कुछ स्वेच्छा से इन अवैध गतिविधियों में शामिल हो गए हैं।
कैसे फंसाए जा रहे हैं लोग?
भारतीय नागरिकों को आकर्षक वेतन और बेहतर जीवनशैली के वादों के साथ नौकरी के झूठे प्रस्ताव दिए जाते हैं। एक बार जब वे इन जालसाज कंपनियों के झांसे में आकर म्यांमार पहुंच जाते हैं, तो उनके दस्तावेज छीन लिए जाते हैं और उन्हें साइबर अपराध करने के लिए मजबूर किया जाता है। इन धोखाधड़ी अभियानों में अमेरिका और भारत जैसे देशों के निर्दोष लोगों को ऑनलाइन ठगने की योजना बनाई जाती है।
कुछ मामलों में, पीड़ितों को भारी फिरौती चुकाने के बाद ही छोड़ा जाता है, जबकि अन्य को जबरन लंबे समय तक अवैध कार्यों में बनाए रखा जाता है।
बचाव कार्य और चुनौतियाँ
भारतीय दूतावास ने कुछ फंसे हुए नागरिकों को बचाया है, लेकिन समस्या की गंभीरता शुरू में लगाए गए अनुमानों से कहीं अधिक व्यापक है। भारतीय अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि जो लोग जानबूझकर इन साइबर घोटालों में शामिल हो रहे हैं, उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
18 फरवरी को तीन भारतीय नागरिक एक घोटालेबाज केंद्र से भागकर यांगून पहुंचने में सफल रहे, जहाँ भारतीय दूतावास ने उन्हें सहायता प्रदान की। अब उन्हें स्वदेश लाने की प्रक्रिया जारी है। हालांकि, क्षेत्र की अस्थिरता और स्थानीय प्रशासन के सीमित नियंत्रण के कारण बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाना मुश्किल बना हुआ है।
थाई और चीनी सरकार की कार्रवाई
थाई अधिकारियों ने इन अवैध साइबर अपराध केंद्रों पर दबाव बनाने के लिए बिजली, इंटरनेट और ईंधन की आपूर्ति रोक दी है। इसके अलावा, चीन ने भी थाईलैंड से इन अपराध सिंडिकेट्स को समर्थन देने वाले बुनियादी ढांचे पर नियंत्रण लगाने का आग्रह किया है।
हालांकि इन प्रयासों के बावजूद संकट बना हुआ है। भारतीय अधिकारियों ने अनुमान लगाया है कि 150 से अधिक भारतीय नागरिक पहले ही पहचान लिए गए हैं, लेकिन वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है, क्योंकि कई लोग स्वेच्छा से इन साइबर अपराध गतिविधियों में शामिल हो गए हैं और उन्होंने अधिकारियों से संपर्क नहीं किया है।
जोखिम और सतर्कता की आवश्यकता
जून 2022 से अब तक म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और थाईलैंड से 600 से अधिक भारतीयों को इन घोटालेबाज नेटवर्क से बचाया जा चुका है। यह आंकड़ा इस क्षेत्र में नौकरी की तलाश कर रहे भारतीय युवाओं के लिए एक गंभीर चेतावनी है।
भारतीय अधिकारियों ने नागरिकों से अपील की है कि वे म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और थाईलैंड में नौकरी के प्रस्तावों को स्वीकार करने से पहले उनकी सत्यता की गहन जांच करें। अन्यथा, वे भी इसी तरह के जाल में फंस सकते हैं, जिससे निकलना आसान नहीं होगा।