15 वर्षीय माया राजेश्वरन ने एलएंडटी मुंबई ओपन में अपनी शानदार लय बरकरार रखते हुए सेमीफाइनल में जगह बना ली है। बिना किसी रैंकिंग के टूर्नामेंट में प्रवेश करने वाली इस युवा खिलाड़ी ने अब लाइव डब्ल्यूटीए रैंकिंग में 645वां स्थान हासिल कर लिया है। शुक्रवार को क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया में खेले गए डब्ल्यूटीए 125के टूर्नामेंट के क्वार्टर फाइनल में उन्होंने जापान की 285वीं रैंकिंग वाली क्वालीफायर मेई यामागुची को 6-4, 3-6, 6-2 से हराकर शानदार जीत दर्ज की।
इस जीत के साथ माया घरेलू स्तर पर इतनी आगे तक पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं। इससे पहले 2005 में सानिया मिर्जा ने अपने गृहनगर हैदराबाद में एक टूर इवेंट जीता था, तब माया का जन्म भी नहीं हुआ था। दिलचस्प बात यह है कि माया ने शुरुआत में मुंबई ओपन में खेलने की योजना नहीं बनाई थी।
माया, जो हाल ही में मैलोर्का में राफा नडाल अकादमी में शामिल हुई हैं, को क्वालीफायर के लिए वाइल्ड कार्ड मिला। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपने दोनों क्वालीफाइंग मैच जीतकर छह रैंकिंग अंक अर्जित करने वाली कोयंबटूर की इस किशोरी ने अब सेमीफाइनल में पहुंचने के साथ 49 अतिरिक्त अंक भी हासिल कर लिए हैं।
अवसर के लिए जताया आभार
अपनी सफलता पर माया ने टूर्नामेंट के निदेशक सुंदर अय्यर को धन्यवाद देते हुए कहा, “यह मेरे लिए बहुत मायने रखता है। एमएसएलटीए और सुंदर सर ने मुझ पर भरोसा किया और मुझे यह अवसर दिया। मैं उनके इस समर्थन के लिए वास्तव में आभारी हूं। यह सब वहीं से शुरू हुआ। यह मेरी योजना का हिस्सा नहीं था, लेकिन उन्होंने मुझे यह मौका दिया और अब मैं यहां तक पहुंच गई हूं।”
हालांकि, जब माया ने दूसरे सेट में डबल-फॉल्ट किया, तब स्कोर 40-15 था और मैच पूरी तरह संतुलित था। लेकिन वह जानती थीं कि इस चुनौती से कैसे पार पाना है, क्योंकि उन्होंने पहले भी दोनों क्वालीफाइंग मैच तीन सेटों में जीते थे।
उन्होंने कहा, “यह इस सप्ताह की तीसरी तीसरी सेट की जीत है। इन सभी मैचों में मैंने पहला सेट जीता और दूसरा गंवा दिया। इसलिए यह मेरे लिए कोई नई बात नहीं थी। जैसे ही मैंने दूसरा सेट गंवाया, मुझे पता था कि तीसरे में पूरी ताकत लगानी होगी। अगर मैं अपने पैरों पर टिकी रही, तो जीत मेरी होगी।”
मुकाबले का रोमांच
25 वर्षीय जापानी खिलाड़ी यामागुची ने मैच की शुरुआत दमदार तरीके से की, लेकिन अपनी सर्विस पर लय खो बैठीं। इसका फायदा उठाकर माया ने 1-3 की कमी से वापसी करते हुए पहला सेट 6-4 से जीत लिया।
दूसरे सेट में यामागुची ने अपनी दाहिनी जांघ पर पट्टी बांधकर खेलते हुए फोरहैंड शॉट्स में मजबूती दिखाई और अपने पहले सर्व प्रतिशत को भी बेहतर किया। इसका असर यह हुआ कि उन्होंने लगातार तीन गेम जीतकर मैच को 1-1 की बराबरी पर ला दिया।
हालांकि, निर्णायक सेट में माया ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। एक शानदार क्रॉसकोर्ट बैकहैंड विनर और दमदार फोरहैंड रिटर्न के जरिए उन्होंने डबल ब्रेक हासिल किया और मुकाबला अपने नाम कर लिया।
सेमीफाइनल में माया बनाम टेचमैन
शनिवार को सेमीफाइनल में माया का सामना स्विट्जरलैंड की पांचवीं वरीयता प्राप्त जिल टेचमैन से होगा। टेचमैन ने दिन की शुरुआत में भारत की श्रीवल्ली भामिदिपति को 6-2, 6-2 से हराकर अंतिम चार में जगह बनाई थी।
इस चुनौती को लेकर माया ने कहा, “यह बहुत कठिन मैच होने वाला है। लेकिन मेरे लिए यह इस सप्ताह का सबसे कठिन मुकाबला होना चाहिए। और वह बाएं हाथ की खिलाड़ी भी हैं। मैं बस अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की उम्मीद करती हूं। मुझ पर कोई दबाव नहीं है।”
थोम्बारे-हार्टोनो युगल फाइनल में
भारत की शीर्ष वरीयता प्राप्त महिला युगल खिलाड़ी प्रार्थना थोम्बारे और उनकी डच जोड़ीदार एरियन हार्टोनो ने सेमीफाइनल में ब्रिटिश-रूसी जोड़ी ईडन सिल्वा और अनास्तासिया तिखोनोवा को 2-6, 6-4, 10-2 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया।
थोम्बारे और हार्टोनो पिछले साल उपविजेता रहे थे, जब उन्हें फाइनल में दलिला जाकुपोविक और सबरीना सांतामारिया के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था। इस बार वे खिताब जीतने के इरादे से उतरेंगी।