Sunday, April 27, 2025

भारत की जेनेरिक दवाइयों को बड़ी राहत: अमेरिका ने फार्मा सेक्टर को टैरिफ से दी छूट

भारत का फार्मास्युटिकल सेक्टर अमेरिकी टैरिफ संकट के बीच एक बड़े विजेता के रूप में उभरा है, क्योंकि अमेरिका ने भारतीय फार्मास्यूटिकल उत्पादों को पारस्परिक टैरिफ से छूट दी है। यह निर्णय भारत की जेनेरिक दवाओं की वैश्विक स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत सहित लगभग 60 देशों से आयातित वस्तुओं पर 27 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा के बावजूद, फार्मा क्षेत्र को इस शुल्क से बाहर रखा गया है।

इस फैसले को उद्योग के नेताओं ने भारत के लिए एक बड़ी जीत बताया है, जिससे देश की फार्मास्युटिकल क्षमता और वैश्विक बाजार में उसकी स्थिति और मजबूत होगी।

भारत की जेनेरिक दवाओं की अहमियत

भारतीय फार्मास्युटिकल अलायंस (IPA) के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा कि अमेरिकी प्रशासन का यह निर्णय वैश्विक स्वास्थ्य सेवा में सस्ती और प्रभावी जेनेरिक दवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “यह छूट सार्वजनिक स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भारत की जीवन रक्षक जेनेरिक दवाओं के महत्व को उजागर करती है।”

उन्होंने आगे बताया कि भारत और अमेरिका के बीच मजबूत और निरंतर बढ़ते व्यापारिक संबंध हैं, जिनमें फार्मास्युटिकल सेक्टर एक प्रमुख स्तंभ के रूप में कार्य कर रहा है। भारत की लागत-प्रभावी दवाएं न केवल अमेरिकी बाजार के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य सेवा में भी इनका अहम योगदान है।

व्यापार और आर्थिक लाभ

भारत के फार्मा उद्योग के लिए यह छूट महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ लेकर आई है। फार्मेक्सिल के उपाध्यक्ष और किलिच ड्रग्स के पूर्णकालिक निदेशक भाविन मुकुंद मेहता के अनुसार, “फार्मास्युटिकल क्षेत्र इस निर्णय का सबसे बड़ा लाभार्थी बनकर उभरा है।”

उन्होंने बताया कि भारत अमेरिका को हर साल लगभग 8.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की दवाइयों का निर्यात करता है, जबकि अमेरिका से केवल 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर की दवाइयों का आयात करता है। यह व्यापार संतुलन दोनों देशों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि इससे अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में लागत में महत्वपूर्ण बचत होगी और मरीजों को किफायती दवाएं मिलती रहेंगी।

भारत की फार्मा कंपनियां और उनकी भूमिका

भारत का फार्मास्युटिकल उद्योग न केवल अपनी गुणवत्ता और नवाचार के लिए जाना जाता है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। भारतीय फार्मास्युटिकल अलायंस (IPA) में सन फार्मा, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, ल्यूपिन, टोरेंट और ग्लेनमार्क सहित देश की 23 प्रमुख फार्मा कंपनियां शामिल हैं।

इन कंपनियों की मजबूत उपस्थिति और निरंतर बढ़ती निर्यात क्षमता भारत को वैश्विक फार्मा बाजार में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में स्थापित कर रही है। यह निर्णय भारत और अमेरिका के बीच मजबूत द्विपक्षीय व्यापारिक सहयोग को और मजबूती देगा और वैश्विक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को सस्ती, उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

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