Sunday, April 27, 2025

भारतीय मूल के FBI निदेशक काश पटेल को ATF प्रमुख के पद से क्यों हटाया गया

भारतीय मूल के एफबीआई निदेशक काश पटेल को अमेरिका के शराब, तंबाकू, आग्नेयास्त्र और विस्फोटक ब्यूरो (ATF) के कार्यवाहक प्रमुख के पद से हटा दिया गया है। उन्हें यह पद एफबीआई निदेशक की जिम्मेदारियों के साथ-साथ सौंपा गया था। व्हाइट हाउस ने अब उनके स्थान पर सेना सचिव डैनियल ड्रिस्कॉल की नियुक्ति की पुष्टि की है।

हालांकि न्याय विभाग ने पटेल को हटाए जाने की पुष्टि की है, लेकिन इस फैसले की कोई औपचारिक सार्वजनिक घोषणा नहीं की गई। एसोसिएटेड प्रेस के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, काश पटेल को फरवरी के अंत में ही उनके पद से हटा दिया गया था, यानी पदभार ग्रहण करने के कुछ ही दिनों बाद।

दिलचस्प बात यह है कि अप्रैल के अंत तक भी पटेल का नाम ATF की वेबसाइट पर कार्यवाहक निदेशक के रूप में दर्ज था और वे कई प्रेस विज्ञप्तियों में भी शामिल थे। इस सप्ताह तक एटीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों को भी इस नेतृत्व परिवर्तन की जानकारी नहीं दी गई थी, जिससे इस पूरे मामले के संचालन पर सवाल खड़े हो गए हैं।

अब सेना सचिव डैनियल ड्रिस्कॉल ने अपनी मौजूदा जिम्मेदारियों के साथ-साथ ATF के कार्यवाहक प्रमुख का कार्यभार भी संभाल लिया है। इससे रक्षा क्षेत्र और घरेलू कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच की पारंपरिक सीमाएं धुंधली होती नजर आ रही हैं।

गौरतलब है कि एटीएफ की जिम्मेदारियों में हिंसक अपराधों, बंदूक तस्करी, आगजनी और बम धमाकों की जांच शामिल है, और यह एजेंसी अपराधों में इस्तेमाल किए गए हथियारों का पता लगाने में भी तकनीकी भूमिका निभाती है।

काश पटेल को क्यों हटाया गया?

पटेल को हटाए जाने के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं किया गया है। हालांकि, न्याय विभाग के एक अधिकारी ने यह स्पष्ट किया कि उन्हें खराब प्रदर्शन के कारण नहीं हटाया गया। अधिकारी ने बताया कि यह सिर्फ एक अंतरिम व्यवस्था थी जब तक सीनेट द्वारा स्थायी नियुक्ति की पुष्टि नहीं होती।

न्याय विभाग के प्रवक्ता हैरिसन फील्ड्स ने कहा कि एटीएफ में पटेल की भूमिका अस्थायी थी और अब वे एफबीआई में “उत्कृष्ट” कार्य कर रहे हैं।

रिपोर्टों के अनुसार, पटेल FBI और ATF दोनों का नेतृत्व कर रहे थे, जो कि दो विशाल और जटिल एजेंसियां हैं। ऐसे में दोनों जिम्मेदारियों को एक साथ निभाना शायद संभव नहीं था। बताया जा रहा है कि पटेल ने अपने कार्यकाल के दौरान केवल एक बार ही ATF मुख्यालय का दौरा किया और वे एजेंसी के कामकाज से अधिकतर समय अनुपस्थित रहे।

फरवरी में उनकी अचानक नियुक्ति ने एटीएफ के कैरियर स्टाफ को हैरानी में डाल दिया था। हालांकि उन्होंने एजेंसी को हिंसक गिरोहों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया था, लेकिन रॉयटर्स को सूत्रों ने बताया कि उनका योगदान वहीं तक सीमित रहा।

इस घटनाक्रम ने प्रशासन के भीतर कामकाज की पारदर्शिता और समन्वय को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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