Tuesday, July 15, 2025

भारतीय छात्र को निर्वासन से मिली राहत: अमेरिकी अदालत का ट्रम्प प्रशासन के खिलाफ फैसला

अमेरिकी संघीय न्यायालय ने एक भारतीय छात्र को बड़ी राहत देते हुए ट्रम्प प्रशासन को उसे देश से निर्वासित करने से अस्थायी रूप से रोक दिया है। यह मामला विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे 21 वर्षीय कृष्ण लाल इस्सरदासानी से जुड़ा है, जिनका F-1 छात्र वीजा हाल ही में रद्द कर दिया गया था।

क्या है पूरा मामला?

कृष्ण लाल इस्सरदासानी वर्ष 2021 से अमेरिका के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं और फिलहाल अपने अंतिम वर्ष के अंतिम सेमेस्टर में हैं। उनके स्नातक होने में अब 30 दिन से भी कम का समय बचा है।

हालांकि, 22 नवंबर, 2024 को उन्हें एक बार “अव्यवस्थित आचरण” के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जिला अटॉर्नी ने मामले की समीक्षा के बाद कोई आरोप तय नहीं किए। इस्सरदासानी को कभी अदालत में पेश भी नहीं होना पड़ा और उन्होंने मान लिया कि यह मामला सुलझ गया है तथा इसका उनके वीजा पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

SEVIS रिकॉर्ड समाप्त, बिना सूचना के

4 अप्रैल, 2025 को विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय छात्र सेवा (ISS) कार्यालय से इस्सरदासानी को ईमेल प्राप्त हुआ, जिसमें बताया गया कि उनका SEVIS रिकॉर्ड समाप्त कर दिया गया है। इसका कारण “अन्यथा स्थिति बनाए रखने में विफलता” और आपराधिक रिकॉर्ड जांच में उनका नाम आना बताया गया। यह कार्रवाई अमेरिका के होमलैंड सुरक्षा विभाग द्वारा संचालित विदेशी छात्र और विनिमय आगंतुक कार्यक्रम के अंतर्गत की गई।

दस्तावेजों के अनुसार, इस्सरदासानी को इस निर्णय से पहले कोई चेतावनी, सफाई देने का मौका या किसी भी संभावित गलतफहमी को ठीक करने का अवसर नहीं दिया गया। न ही उन्हें विश्वविद्यालय, आव्रजन विभाग या अमेरिकी विदेश विभाग से कोई आधिकारिक सूचना प्राप्त हुई।

भविष्य पर असर और मानसिक तनाव

इस अचानक हुई कार्रवाई से इस्सरदासानी न केवल अपनी डिग्री पूरी करने से वंचित हो जाते, बल्कि उन्हें OPT (Optional Practical Training) के लिए आवेदन करने का अवसर भी नहीं मिलता — जो कि अमेरिकी वीजा नीति के तहत अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए 12 महीनों का वैध कार्य अनुभव प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है।

अदालती दस्तावेजों में बताया गया है कि इस्सरदासानी और उनके परिवार ने अब तक अमेरिका में उनकी शिक्षा पर करीब 2.4 लाख अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है। केवल इस सेमेस्टर के ट्यूशन फीस में ही उन्हें 17,500 डॉलर का नुकसान होने की आशंका है। साथ ही, देश में रहने की अनुमति न होने के बावजूद उन्हें अगले चार महीनों के लिए किराया भी देना पड़ेगा।

मनोवैज्ञानिक रूप से भी यह मामला इस्सरदासानी पर गहरा प्रभाव डाल रहा है। वह नींद नहीं ले पा रहे हैं और हमेशा इस डर में जी रहे हैं कि कहीं उन्हें हिरासत में न ले लिया जाए। अदालत को बताया गया कि वह अब अपने अपार्टमेंट से बाहर निकलने में भी डर महसूस कर रहे हैं।

न्यायालय का आदेश और आगे की सुनवाई

जिला न्यायाधीश विलियम कॉनली ने इस्सरदासानी द्वारा दायर अस्थायी निरोधक आदेश (TRO) की याचिका को स्वीकार कर लिया है। आदेश में कहा गया है कि जब तक मामले की प्रारंभिक निषेधाज्ञा पर सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक प्रशासन इस्सरदासानी के F-1 वीजा और SEVIS रिकॉर्ड को लेकर कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कार्रवाई नहीं कर सकता। इसमें वीजा रद्द करना या हिरासत में लेना भी शामिल है।

इस मामले में अगली सुनवाई 28 अप्रैल, 2025 को निर्धारित की गई है।

एक व्यापक मुद्दा: अन्य छात्र भी प्रभावित

मैडिसन की वकील शबनम लोटफी, जो इस मामले में इस्सरदासानी की ओर से पेश हुईं, ने कहा कि यह आदेश अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है। उन्होंने बताया कि देशभर में करीब 1,300 छात्रों के SEVIS रिकॉर्ड बिना चेतावनी समाप्त किए गए हैं।

यह घटनाक्रम ट्रम्प प्रशासन की व्यापक आव्रजन सख्ती का हिस्सा है, जिसमें प्रतिष्ठित अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे विदेशी नागरिक भी निशाने पर आ गए हैं।

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