Waqf (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान भड़की हिंसा के मद्देनजर कलकत्ता हाई कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय बलों की तैनाती बनाए रखने का निर्देश दिया और सभी पक्षों को चेतावनी दी कि किसी भी तरह के भड़काऊ भाषण की अनुमति नहीं दी जाएगी।
न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की खंडपीठ ने इस दौरान राज्य सरकार को भी निर्देशित किया कि वह हिंसा से प्रभावित और विस्थापित लोगों के लिए पुनर्वास और राहत कार्यों के लिए एक विशेष टीम गठित करे। कोर्ट ने कहा, “हम केंद्रीय बलों की तैनाती को जारी रखेंगे। किसी को भी भड़काऊ भाषण देने की इजाजत नहीं दी जाएगी। यह निर्देश सभी के लिए है।”
गौरतलब है कि 11 और 12 अप्रैल को मुर्शिदाबाद जिले के सुती, जंगीपुर, शमशेरगंज और धुलियान क्षेत्रों में हिंसा हुई थी, जिसमें अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग अपने घरों से बेघर हो गए हैं। 14 अप्रैल को दक्षिण 24 परगना के भांगर इलाके में भी हिंसा की ताजा घटनाएं सामने आईं। हालांकि पुलिस का दावा है कि मुर्शिदाबाद में अब स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में है।
12 अप्रैल को हाई कोर्ट ने पहली बार आदेश जारी कर मुर्शिदाबाद में केंद्रीय बलों की तैनाती के निर्देश दिए थे। वर्तमान में जिले के हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की लगभग 17 कंपनियां तैनात हैं।
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने बुधवार को अदालत से अनुरोध किया था कि इलाके की संवेदनशीलता को देखते हुए केंद्रीय बलों की तैनाती को आगे भी जारी रखा जाए।
राज्य सरकार ने गुरुवार को अदालत को जानकारी दी कि वह प्रभावित क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए सक्रिय प्रयास कर रही है। साथ ही राज्य सरकार ने अदालत से यह भी आग्रह किया कि जब तक हालात सामान्य न हों, तब तक किसी को भी मुर्शिदाबाद जाने की अनुमति न दी जाए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार ने यह भी बताया कि हिंसा की जांच के लिए दो विशेष जांच दल (SIT) गठित किए गए हैं।
सरकार ने एहतियात के तौर पर मुर्शिदाबाद में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं और निषेधाज्ञा लागू कर दी है। सरकार की ओर से यह भी बताया गया कि ड्रोन के माध्यम से इलाके की निगरानी की जा रही है, अब तक 38 परिवारों का पुनर्वास किया जा चुका है, और एक व्यक्ति व उसके बेटे की हत्या के मामले में 79 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा विस्फोटक अधिनियम के तहत दो मामले भी दर्ज किए गए हैं।
राज्य सरकार ने यह भी कहा कि पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया। वहीं, विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी द्वारा कई जिलों के “जलने” के दावे को राज्य सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया। राज्य के वकील ने कहा, “यह बयान सच नहीं है।” साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार को केंद्रीय बलों की मौजूदगी से कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा, “मुझे केंद्रीय बलों से एलर्जी नहीं है।”
इस पूरे मामले में हाई कोर्ट की सख्ती और राज्य-केंद्र दोनों के जवाबों से स्पष्ट है कि प्रशासन और न्यायपालिका अब किसी भी प्रकार की लापरवाही या भड़काऊ गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगी।