Sunday, April 27, 2025

दुनिया भर में अमेरिकी ट्रेजरी में इतना ज़्यादा निवेश क्यों किया जाता है?

कई वर्षों से अमेरिकी ट्रेजरी को एक सुरक्षित और स्थिर निवेश विकल्प माना जाता रहा है। दुनिया भर के निवेशक, विशेषकर बाजार में अस्थिरता के समय, अमेरिकी ट्रेजरी को प्राथमिकता देते हैं। इन बॉन्ड्स को अमेरिकी सरकार की संपूर्ण गारंटी प्राप्त होती है, जिससे उनमें जोखिम बेहद कम होता है। वे न केवल निवेश पोर्टफोलियो का अहम हिस्सा हैं, बल्कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली को स्थिर बनाए रखने में भी मदद करते हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में खासकर डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान, इस भरोसे को चुनौतियाँ मिलने लगी हैं। यह एक संकेत हो सकता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की कार्यप्रणाली अब बदल रही है।

अमेरिकी ट्रेजरी की वैश्विक भूमिका

अमेरिकी ट्रेजरी प्रतिभूतियाँ (Securities) ऐसे उपकरण हैं जिनके ज़रिए अमेरिका सरकार अपने खर्चों को पूरा करने के लिए ऋण लेती है। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग इन्हें विभिन्न अवधियों में जारी करता है:

  • ट्रेजरी बिल (T-Bills): अल्पकालिक, एक वर्ष से कम अवधि के लिए।
  • ट्रेजरी नोट्स (T-Notes): मध्यम अवधि के, आमतौर पर 2 से 10 वर्षों तक के लिए।
  • ट्रेजरी बॉन्ड्स (T-Bonds): दीर्घकालिक, 30 वर्षों तक की अवधि के लिए।

इनका उपयोग सिर्फ सरकारी खर्चों की पूर्ति नहीं, बल्कि मौद्रिक नीति को प्रभावित करने और राष्ट्रीय ऋण प्रबंधन में भी होता है। इन बॉन्ड्स की प्रमुख विशेषता यह है कि ये बेहद सुरक्षित होते हैं, आसानी से खरीदे-बेचे जा सकते हैं और इनका मूल्य अमेरिकी डॉलर में होता है। चूंकि अमेरिका अपना मुद्रा नियंत्रण स्वयं करता है, इसीलिए यह संभावना बहुत कम है कि वह अपने ऋण का भुगतान नहीं कर पाएगा। सैद्धांतिक रूप से, फेडरल रिज़र्व हमेशा ज़रूरत पड़ने पर डॉलर छाप सकता है।

इस स्थायित्व के कारण ही, अमेरिका के ट्रेजरी बॉन्ड दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों, निवेश कंपनियों और सरकारी फंड्स के पसंदीदा निवेश बने हुए हैं। यह स्थिति अमेरिका को सस्ते ब्याज दरों पर पैसा उधार लेने की सुविधा देती है और डॉलर को वैश्विक मंच पर मजबूती प्रदान करती है।

टैरिफ का प्रभाव

हाल के वर्षों में, खासकर ट्रम्प प्रशासन के दौरान, अमेरिकी आर्थिक नीतियाँ अप्रत्याशित रहीं। राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा लगाए गए टैरिफ (आयात शुल्क) ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित किया और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की चिंता बढ़ा दी।

8 अप्रैल को शेयर बाजार में गिरावट के समय एक अनोखी बात देखने को मिली: आम तौर पर जब शेयर गिरते हैं, तो निवेशक ट्रेजरी खरीदते हैं, जिससे उनकी यील्ड घटती है। लेकिन इस बार, ट्रेजरी यील्ड बढ़ गई — यानी लोग ट्रेजरी बेच रहे थे। यह पारंपरिक “सुरक्षित निवेश की ओर भागने” की धारणा के विपरीत था।

फॉर्च्यून की पत्रकार एलिसिया एडमज़िक ने इसे एक चिंताजनक संकेत बताया। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जापान जैसे देश, ट्रम्प की व्यापार नीतियों से नाखुश होकर अमेरिकी बॉन्ड बेच सकते हैं। वहीं कुछ ने हेज फंड्स को इसका कारण बताया।

बाजार की प्रतिक्रिया और नीतिगत बदलाव

ट्रेजरी यील्ड में असामान्य बढ़ोतरी के बाद, ट्रम्प प्रशासन ने 90 दिनों के लिए नए टैरिफ लगाने पर रोक लगाई और व्यापारिक साझेदारों के साथ कुछ नरमी दिखाई। इसका सकारात्मक असर हुआ — 10-वर्षीय ट्रेजरी की यील्ड घटकर 4.35% हो गई और लंबी अवधि के बॉन्ड्स की यील्ड में भी गिरावट आई।

हालांकि, कई विशेषज्ञ अब भी सतर्क हैं। ब्रांडीवाइन ग्लोबल के पोर्टफोलियो मैनेजर जैक मैकइंटायर के अनुसार, “अमेरिका की प्रतिष्ठा को जो नुकसान हुआ है, वह स्थायी हो सकता है।” भले ही टैरिफ में थोड़ी ढील हो, लेकिन निवेशक अब अमेरिका पर आंख बंद कर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं — खासकर तब जब उसकी नीतियाँ अस्थिर और अनिश्चित प्रतीत होती हैं।

इसका असर अन्य बाजारों में भी दिखने लगा है। अमेरिकी ट्रेजरी से हटता निवेश अब जर्मन और जापानी सरकारी बॉन्ड्स की ओर जा रहा है, जो यह दर्शाता है कि निवेशक विविधता और वैकल्पिक सुरक्षित परिसंपत्तियाँ तलाश रहे हैं।

“बॉन्ड का वर्ष” और नई प्राथमिकताएँ

हालाँकि ट्रेजरी में अस्थिरता रही है, लेकिन 2024 को कई विशेषज्ञ “बॉन्ड का वर्ष” कह रहे हैं। रॉयटर्स के अनुसार, वैश्विक बॉन्ड फंड्स ने अब तक $600 बिलियन से अधिक की कमाई की है, जो कि 2022 की तुलना में जबरदस्त बदलाव है।

यह लाभ मुख्यतः इसलिए हुआ क्योंकि मुद्रास्फीति में कमी आने के साथ ही कई केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों को घटाना शुरू कर दिया। इससे बॉन्ड, विशेषकर उच्च रिटर्न वाले बॉन्ड्स, निवेशकों को अधिक आकर्षक लगे।

कॉरपोरेट बॉन्ड्स — जो कंपनियाँ जारी करती हैं — ने भी उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। चूंकि ये सरकारी बॉन्ड्स से अधिक ब्याज देते हैं, कई निवेशक उनकी ओर आकर्षित हुए हैं। लेकिन ये ज़्यादा जोखिम (क्रेडिट रिस्क) भी लाते हैं, इसलिए सतर्क निवेशकों के लिए यह थोड़ा जोखिमपूर्ण क्षेत्र है।

अब भी सुरक्षित, लेकिन सोच-समझकर

हालाँकि हाल में ट्रेजरी बॉन्ड्स की बिक्री देखने को मिली है, लेकिन विशेषज्ञ यह नहीं मानते कि इनसे पूरी तरह दूर हो जाना समझदारी होगी। B2PRIME Group के मुख्य रणनीति अधिकारी एलेक्स त्सेपेव का कहना है कि ट्रेजरी, सोने की तरह ही, जोखिम प्रबंधन और धन सुरक्षा का एक अहम जरिया बना हुआ है।

वे मानते हैं कि अल्पकालिक ट्रेजरी बॉन्ड्स एक संतुलित विकल्प हो सकते हैं — ये अच्छा रिटर्न देते हैं और लंबे समय की राजनीतिक या वैश्विक उथल-पुथल से कम प्रभावित होते हैं।

इंटेलेक्टिया एआई के सीईओ फेई चेन का भी यही मानना है कि ट्रेजरी अभी भी एक सुरक्षित विकल्प है, लेकिन थोड़ी सावधानी के साथ निवेश करना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि बॉन्ड की अवधि और अन्य देशों (जैसे कनाडा या ऑस्ट्रेलिया) के बॉन्ड्स को भी ध्यान में रखना चाहिए।

वैश्विक प्रभाव

यूएस ट्रेजरी बाजार, जिसकी वर्तमान में अनुमानित कीमत लगभग $29 ट्रिलियन है, सिर्फ अमेरिकी सरकार के खर्च का जरिया नहीं है — यह पूरी वैश्विक वित्तीय प्रणाली की रीढ़ है। ट्रेजरी पर यील्ड (ब्याज दरें) यह तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं कि लोगों को घर खरीदने पर कितना ब्याज देना होगा, और देश अपने विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन कैसे करेंगे।

यदि दुनिया भर के निवेशक ट्रेजरी में अपना भरोसा खोने लगते हैं, तो इससे उधारी की लागत बढ़ सकती है — खासकर अब, जब अमेरिका बड़े बजट घाटे में है और वैश्विक राजनीतिक तनाव बढ़ रहे हैं।

आज भी अमेरिकी ट्रेजरी वित्तीय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, लेकिन इसकी स्थिति पहले जैसी निर्विवाद नहीं रही। निवेशक अब इन्हें पूरी तरह जोखिम-मुक्त नहीं मानते। वे वैश्विक राजनीति, अनिश्चित नीतियों और अन्य प्रतिस्पर्धी विकल्पों के उदय को ध्यान में रखते हुए ज़्यादा विवेकपूर्ण तरीके से निवेश कर रहे हैं।

इस नए दौर में ट्रेजरी का महत्व बना रहेगा, लेकिन निवेशकों की नजरें अब और ज्यादा सतर्क हो चुकी हैं।

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