Monday, July 14, 2025

तहव्वुर राणा से उसकी कोठरी में केवल ANI प्रमुख द्वारा अधिकृत अधिकारी ही मिल सकते हैं

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (ANI) की टीम, जिसका नेतृत्व एजेंसी की उप महानिरीक्षक जया रॉय कर रही हैं, तहव्वुर राणा मामले की प्रमुख जांच अधिकारी भी हैं। टीम का मुख्य उद्देश्य राणा से 2008 में भारत दौरे के दौरान, विशेषकर 8 नवंबर से 21 नवंबर के बीच, उसके संपर्कों और गतिविधियों की विस्तृत जानकारी जुटाना है। ANI की योजना है कि राणा की गवाही के आधार पर विभिन्न राज्य आतंकवाद निरोधक दस्तों (ATS) के साथ मिलकर किसी भी संभावित सुराग का अनुसरण किया जाए।

कोर्ट के आदेश के बाद ANI द्वारा जारी बयान में कहा गया है, “राणा अब 18 दिनों तक एनआईए की हिरासत में रहेगा। इस दौरान एजेंसी उससे 2008 के मुंबई हमलों की पूरी साजिश की परतें खोलने के लिए गहन पूछताछ करेगी। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे और 238 से अधिक लोग घायल हुए थे।”

राणा की हिरासत और आगे की न्यायिक प्रक्रिया के दौरान उसकी सुरक्षा एनआईए के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। उसे ‘आत्महत्या निगरानी’ में रखा गया है, जिसके तहत वह 24 घंटे मानव निगरानी और सीसीटीवी कैमरों की निगाह में रहेगा।

ANI प्रमुख सदानंद दाते द्वारा अधिकृत चुनिंदा अधिकारी ही राणा की कोठरी के भीतर जाने की अनुमति रखते हैं। महाराष्ट्र कैडर के वरिष्ठ IPS अधिकारी दाते 2008 के मुंबई हमलों के समय अतिरिक्त पुलिस आयुक्त थे और आतंकियों से लड़ते हुए गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

एक सूत्र ने बताया कि विशेष सुरक्षा गार्ड बारी-बारी से राणा पर नज़र रख रहे हैं और उसके साथ किसी भी प्रकार की बातचीत की अनुमति नहीं दी जा रही है। जब राणा को किसी अन्य शहर ले जाया जाएगा, तो उस दौरान विशेष सुरक्षा उपाय अपनाए जाएंगे, क्योंकि जांच एजेंसियों को यह आशंका है कि उसे खत्म करने की कोशिशें हो सकती हैं ताकि वह भारत में ISI और लश्कर-ए-तैयबा के स्लीपर सेल में शामिल अपने साथियों की जानकारी न दे सके।

महाराष्ट्र के CM बोले – पुलिस करेगी जांच में ANI की मदद

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को कहा कि ANI और केंद्रीय गृह मंत्रालय 26/11 हमलों की जांच का नेतृत्व करेंगे, जबकि मुंबई पुलिस तहव्वुर राणा की भूमिका की जांच में सहायता करेगी। उन्होंने कहा, “अजमल कसाब को फांसी दी जा चुकी है, लेकिन इस हमले की साजिश रचने वालों को लेकर हमारे दिलों पर अब भी बोझ है। केंद्र सरकार अब उन्हें भारतीय न्याय व्यवस्था के सामने लाने में सफल हो गई है।”

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