बुधवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 23 पैसे गिरकर 85.63 पर आ गया। यह गिरावट मुख्य रूप से अमेरिकी मुद्रा की मजबूती और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के कारण देखने को मिली। विदेशी मुद्रा विश्लेषकों का कहना है कि माह के अंत में निर्यातकों और बैंकों की ओर से डॉलर की बढ़ती मांग ने भी रुपये पर दबाव डाला है।
हालांकि घरेलू शेयर बाजारों में मिला-जुला रुख देखा गया, लेकिन विदेशी निवेश का प्रवाह कुछ धीमा रहा, जिससे रुपये को सहारा नहीं मिल सका। विश्लेषकों का यह भी मानना है कि निवेशक घरेलू और वैश्विक स्तर पर जारी आर्थिक आंकड़ों के संकेतों का इंतजार कर रहे हैं, जिसके चलते वे फिलहाल सतर्कता बरत रहे हैं।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया बुधवार को 85.59 पर खुला था और कारोबार के दौरान यह गिरकर 85.71 तक पहुँच गया। बाद में यह थोड़ा संभलते हुए 85.63 पर बंद हुआ, जो पिछले बंद स्तर की तुलना में 23 पैसे की गिरावट दर्शाता है। इससे पहले मंगलवार को रुपया 30 पैसे की गिरावट के साथ 85.40 पर बंद हुआ था।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स 0.30 प्रतिशत की बढ़त के साथ 99.72 पर कारोबार कर रहा था। विश्लेषकों ने डॉलर की इस मजबूती का श्रेय अमेरिका में उपभोक्ता विश्वास में आई मजबूती और जापान में दीर्घकालिक बॉन्ड यील्ड में आई गिरावट के चलते येन की कमजोरी को दिया।
वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दामों में भी तेजी देखने को मिली। ब्रेंट क्रूड वायदा 0.41 प्रतिशत की बढ़त के साथ 64.35 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
घरेलू शेयर बाजार की बात करें तो बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 23.86 अंकों या 0.03 प्रतिशत की हल्की बढ़त के साथ 81,575.49 पर बंद हुआ। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 28.90 अंक या 0.12 प्रतिशत की बढ़त के साथ 24,855.10 पर पहुंच गया।
वहीं, एक्सचेंज द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को शुद्ध रूप से 348.45 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।