पिछले सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा फार्मास्यूटिकल्स को उनके पारस्परिक टैरिफ आदेश से अस्थायी रूप से छूट दिए जाने पर भारत को थोड़ी राहत मिली थी। लेकिन यह राहत ज्यादा देर टिकती नहीं दिख रही। बुधवार को एक रिपब्लिकन कार्यक्रम में ट्रम्प ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया कि फार्मास्यूटिकल आयात पर जल्द ही “बड़ा टैरिफ” लगाया जाएगा।
ट्रम्प ने कहा, “हम बहुत जल्द फार्मास्यूटिकल्स पर बड़ा टैरिफ लगाने जा रहे हैं… एक बार जब हम ऐसा कर देंगे, तो वे हमारे देश में वापस आ जाएँगे क्योंकि हम बड़े बाजार हैं।”
उन्होंने घरेलू फार्मास्यूटिकल उत्पादन की गिरावट पर चिंता जताई और कहा कि यह टैरिफ नीति फार्मा कंपनियों को अमेरिका में अपने उत्पादन केंद्र स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। ट्रम्प ने दोहराया, “हम चाहते हैं कि ये कंपनियाँ अपने उत्पाद अमेरिका में बनाएँ, न कि चीन या कहीं और।”
भारत पर संभावित असर
यह प्रस्तावित टैरिफ न केवल भारत को प्रभावित करेगा, बल्कि इसका असर सीधे तौर पर अमेरिकी उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा। पहले यह समझना जरूरी है कि भारत की फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री वैश्विक दृष्टि से कितनी अहम है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा जेनेरिक दवाओं का आपूर्तिकर्ता है, जिसकी वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी लगभग 20% है। 2023-24 के वित्तीय वर्ष में भारत ने अमेरिका को कुल $9.7 बिलियन मूल्य की दवाएं और फार्मास्यूटिकल उत्पाद निर्यात किए।
अमेरिका जेनेरिक दवाओं के लिए भारत पर काफी हद तक निर्भर है—करीब 45% जेनेरिक दवाओं का आयात वह भारत से करता है। कई प्रमुख भारतीय फार्मा कंपनियां अपने कुल राजस्व का 50% से अधिक हिस्सा अमेरिका को निर्यात से अर्जित करती हैं।
इस स्थिति में यदि ट्रम्प द्वारा प्रस्तावित टैरिफ लागू होता है, तो भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए यह एक बड़ा झटका हो सकता है। टैरिफ की वजह से उनकी उत्पादन लागत बढ़ेगी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उनकी कीमत-आधारित बढ़त कमजोर हो सकती है। इससे भारतीय कंपनियों की लाभप्रदता पर सीधा असर पड़ेगा।
अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए भी महंगा सौदा
यह टैरिफ केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि अमेरिका के लाखों मरीजों के लिए भी मुश्किलें बढ़ा सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, यदि अमेरिका सभी आयातित दवाओं पर टैरिफ लगाता है, तो जेनेरिक दवाओं की कीमतों में प्रति गोली औसतन $0.12 की वृद्धि हो सकती है। यह एक मरीज के लिए सालाना करीब $42 (लगभग ₹3,700) की अतिरिक्त लागत होगी।
कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की दवाओं पर असर और भी अधिक गंभीर हो सकता है। इन दवाओं की कीमतों में सालाना $10,000 तक की बढ़ोतरी की आशंका है।
डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीति भारत-अमेरिका फार्मा व्यापार संबंधों को एक नए दौर में ले जा सकती है। जहां यह कदम अमेरिकी उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया जा रहा है, वहीं इसके परिणामस्वरूप भारत की फार्मा इंडस्ट्री को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और अमेरिका में दवाओं की लागत में भारी इजाफा हो सकता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत और अमेरिका इस संभावित व्यापारिक झटके से कैसे निपटते हैं।