जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयर आज निवेशकों के बीच चर्चा का केंद्र बने हुए हैं, क्योंकि भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (Ireda) ने कंपनी के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही शुरू कर दी है। इरेडा ने दिवालियापन और दिवालियापन संहिता (IBC) की धारा 7 के तहत कानूनी कार्रवाई करते हुए कंपनी पर 510 करोड़ रुपये का बकाया ऋण न चुकाने का आरोप लगाया है। इस जानकारी का खुलासा बुधवार को स्टॉक एक्सचेंज को दी गई एक आधिकारिक घोषणा में किया गया।
अगर यह याचिका राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) द्वारा स्वीकार कर ली जाती है, तो जेनसोल इंजीनियरिंग के सभी लेनदारों को अदालत द्वारा नियुक्त समाधान पेशेवर (Resolution Professional) के समक्ष अपने-अपने दावे पेश करने होंगे। इस प्रक्रिया के तहत कंपनी के इक्विटी शेयरधारकों के लिए बड़ा जोखिम उत्पन्न हो सकता है, क्योंकि इक्विटी मूल्य लगभग समाप्त होने की संभावना होती है।
हालांकि इस गंभीर कानूनी संकट के बीच, जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयरों में बुधवार को 5 प्रतिशत की तेजी देखी गई, और कंपनी का शेयर मूल्य बढ़कर 60 रुपये प्रति शेयर पर पहुंच गया। इसी के साथ कंपनी का बाजार पूंजीकरण 228.55 करोड़ रुपये दर्ज किया गया।
कंपनी पहले से ही विभिन्न नियामक एजेंसियों की जांच के दायरे में है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) जेनसोल के प्रमोटरों द्वारा सार्वजनिक कंपनी से फंड डायवर्जन (धन का ग़लत इस्तेमाल) के आरोपों की जांच कर रहा है। सेबी की सख्ती के बाद, कंपनी के संस्थापक अनमोल सिंह जग्गी और उनके भाई पुनीत सिंह जग्गी ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से इस्तीफा दे दिया।
मार्च 2025 में, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों केयर रेटिंग्स और आईसीआरए ने जेनसोल की बैंक सुविधाओं की रेटिंग बीबी+ (स्थिर) से घटाकर ‘केयर डी’ कर दी थी। इस रेटिंग डाउनग्रेड का कारण कंपनी द्वारा प्रस्तुत फर्जी ऋण सेवा दस्तावेज बताए गए, जिससे गंभीर कॉर्पोरेट गवर्नेंस संबंधी सवाल उठे। इन चिंताओं को देखते हुए, जेनसोल ने निवेशकों के विश्वास को बनाए रखने के उद्देश्य से एक ऋण पुनर्गठन योजना की घोषणा की थी।
जेनसोल इंजीनियरिंग, जेनसोल ग्रुप ऑफ कंपनीज़ का हिस्सा है और यह सौर ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण हेतु इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (EPC) सेवाएं प्रदान करती है। वर्तमान परिस्थितियाँ कंपनी के वित्तीय और कॉर्पोरेट प्रशासनिक स्वास्थ्य पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं।