अमेरिका से ट्रेड वॉर और पूरे विश्व में जानबूझकर कोरोना वायरस महामारी फैलाने का पश्चिमी देशों का आरोप झेल रहे चीन को तगड़ा झटका लगा है। स्मार्टफोन बनाने वाली 24 कंपनियां चीन को छोड़कर भारत में अपना प्रोडक्शन यूनिट लगाने की तैयारी कर रही हैं। इससे ऐसा लग रहा है कि चीन छोड़ने वाली कंपनियों को लुभाने की भारत की रणनीति काम कर रही है। सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर एपल तक के लिए कंपोनेंट बनाने वाली कंपनियों ने भारत में निवेश करने की इच्छा जताई है।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है। देश में अब तक 300 मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लग चुकी हैं। केंद्र सरकार ने मार्च में ही इलेक्टॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में कुछ इन्सेंटिव्स का ऐलान किया था। इसके मद्देनजर करीब 24 कंपनियों ने भारत में मोबाइल फोन की फैक्ट्रियां स्थापित करने की इच्छा जताई है। आईटी मंत्रालय के मुताबिक, ये कंपनियां भारत में 1.5 बिलियन डॉलर यानी करीब 11,200 करोड़ रुपये का निवेश कर सकती हैं। सैमसंग के अलावा फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन, पेगाट्रॉन जैसी मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने भारत में फैक्ट्री स्थापित करने की इच्छा जताई है।
वियतनाम को सबसे अधिक फायदा
चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव और कोरोना संकट का फायदा सिर्फ भारत को ही नहीं मिल रहा, बल्कि इसका सबसे अधिक फायदा वियतनाम को मिल रहा है। चीन छोड़कर जाने की इच्छुक कंपनियां कम्बोडिया, म्यांमार, बांग्लादेश और थाईलैंड जैसे देशों में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं। स्टैंडर्ड चार्टर्ड के एक सर्वे में यह बात सामने आई है। वहीं, भारत सरकार भी अपनी रणनीति के तहत फार्मा, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग सेक्टर की कंपनियों को भी देश में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए लुभावने प्रस्ताव दे सकती है। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकार का लक्ष्य अधिक से अधिक कंपनियों को भारत की और आकर्षित करना है। इसके लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है।
10 लाख नौकरियां पैदा होने की उम्मीद
डोएचे बैंक में चीफ इंडिया इकॉनमिस्ट कौशिक दास ने कहा, भारत के पास सप्लाई चेन में निवेश के जरिए मीडियम टर्म में लाभ उठाने का अहम मौका है। सरकार को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग से सबसे ज्यादा उम्मीदे हैं। इस सेक्टर में अगले पांच वर्षों में 153 अरब डॉलर के प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग होने का उम्मीद है। इससे इस सेक्टर में डायरेक्ट और इनडायरेक्ट 10 लाख नौकरियों के अवसर पैदा हो सकते हैं। सरकार को उम्मीद है कि अगले 5 सालों में इस सेक्टर में 55 अरब डॉलर का अतिरिक्त निवेश आ सकता है। सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में दुनियाभर के स्मार्टफोन्स का 10 फीसदी उत्पादन भारत में करने का है। अभी दुनियाभर में सबसे ज्यादा स्मार्टफोन का उत्पादन चीन में होता है। फिलहाल इस सेक्टर का भारत की अर्थव्यवस्था में 15% का योगदान है, जिसे बढ़ाकर 25% करने का लक्ष्य है।
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