Monday, December 9, 2024

चंद्रबाबू नायडू मुसलमानों के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी विधेयक को मंजूरी नहीं देंगे

कई मुस्लिम संगठनों द्वारा वक्फ (संशोधन) विधेयक का विरोध जारी है। इस बीच, एनडीए के सहयोगी दल टीडीपी के वरिष्ठ नेता नवाब जान ने रविवार को कहा कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू मुसलमानों के हितों के खिलाफ कोई भी कानून लागू नहीं होने देंगे।

इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा आयोजित ‘संविधान बचाओ सम्मेलन’ में बोलते हुए नवाब जान ने लोगों से अपील की कि वे वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को संसद में पारित होने से रोकने के लिए एकजुट हों।

जान ने बताया कि नायडू हमेशा से यह कहते आए हैं कि उनके लिए हिंदू और मुस्लिम दो आंखों की तरह हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी एक आंख को नुकसान पूरे शरीर को प्रभावित करता है, और हमें देश के विकास के दौरान इसे ध्यान में रखना चाहिए।

टीडीपी नेता ने यह भी कहा कि चंद्रबाबू नायडू के शासन में मुसलमानों को कई लाभ मिले हैं, जो कि आजादी के बाद से असाधारण हैं। उन्होंने कहा, “चंद्रबाबू एक धर्मनिरपेक्ष सोच वाले व्यक्ति हैं और मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी कानून को लागू नहीं होने देंगे।”

जान ने दावा किया कि वक्फ (संशोधन) विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने में चंद्रबाबू नायडू की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने यह भी कहा कि नायडू का मानना है कि चाहे वह किसी भी धर्म का संस्थान हो, उसमें सिर्फ उसी धर्म के लोग होने चाहिए।

जान ने कहा कि टीडीपी देश की एकता को बनाए रखने के लिए किसी भी प्रकार की कुर्बानी देगी, लेकिन एकता को नुकसान पहुंचाने की किसी भी कोशिश का विरोध करेगी।

इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को केंद्र सरकार में टीडीपी और जनता दल (यू) जैसी पार्टियों का समर्थन प्राप्त है, क्योंकि भाजपा के पास लोकसभा में पूर्ण बहुमत नहीं है।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भी चंद्रबाबू नायडू और जेडी(यू) के नेता नीतीश कुमार से मुस्लिम समुदाय की भावनाओं का सम्मान करने की अपील की है। जमीयत ने एनडीए के धर्मनिरपेक्ष दलों से कहा कि वे इस “खतरनाक” विधेयक का समर्थन न करें।

अगस्त में लोकसभा में इस विधेयक को पेश किया गया था। इसके बाद बहस हुई, जिसमें सरकार ने कहा कि इसका मकसद मस्जिदों के कामकाज में हस्तक्षेप करना नहीं है, जबकि विपक्ष ने इसे मुसलमानों को निशाना बनाने और संविधान पर हमला बताया।

समिति की बैठकों में कई बार गरमागरमी देखने को मिलती है, जिसमें विपक्षी सदस्य समिति के अध्यक्ष पर पक्षपात का आरोप लगाते हैं, जबकि भाजपा सदस्य आरोप लगाते हैं कि विपक्ष जानबूझकर कार्यवाही में रुकावट डाल रहा है।

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