Tuesday, July 15, 2025

क्या ट्रम्प ने ईरान पर इजरायल के हमले की मंजूरी दी?

ईरान और इजरायल के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। ऐसे समय में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बयान बहुत उलझे हुए लग रहे हैं। कभी वो बातचीत की बात करते हैं, तो कभी धमकी देते हैं। इससे यह समझना मुश्किल हो गया है कि अमेरिका इस संघर्ष में कितना शामिल है और उसका असली इरादा क्या है।

बातचीत या धमकी?

ट्रम्प का कहना है कि वे ईरान के साथ शांति से समाधान निकालना चाहते हैं। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा कि वे “कूटनीतिक समाधान” के लिए तैयार हैं। लेकिन उसी दिन उन्होंने यह भी कहा कि ईरान को समझौते के लिए जो 60 दिन की समयसीमा दी गई थी, वह खत्म हो चुकी है।

बाद में, उन्होंने कहा कि ईरान और इजरायल को एक समझौते पर आना चाहिए और अमेरिका इसमें मदद करेगा। लेकिन फिर उन्होंने चेतावनी दी कि “ईरान को परमाणु हथियार नहीं मिल सकते” और कहा कि “सभी को तेहरान छोड़ देना चाहिए।” यह बयान बहुत गंभीर माना गया।

क्या अमेरिका ने इजरायल को हमले की मंजूरी दी?

ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका का ईरान पर इजरायल के हमले से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने साफ इनकार किया कि अमेरिका इसमें शामिल है।

हालाँकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका को इस हमले के बारे में पहले से पता था या कम से कम अंदाज़ा था। कुछ का कहना है कि इजरायल को डर था कि अगर अमेरिका और ईरान के बीच समझौता हो गया, तो उसके लिए ये नुकसानदायक होगा।

हमले में क्या हुआ?

इजरायल ने ईरान की नातान्ज़ यूरेनियम संवर्धन सुविधा पर हमला किया। यह वही जगह है जहाँ ईरान ने 60% शुद्धता तक यूरेनियम समृद्ध किया था। परमाणु बम बनाने के लिए 90% शुद्धता की जरूरत होती है।

हमले में वहां की बिजली सप्लाई भी प्रभावित हुई, जिससे जमीन के नीचे की संवर्धन सुविधा को भी नुकसान हो सकता है। लेकिन ईरान की दूसरी बड़ी सुविधा, फोर्डो (जो पहाड़ के अंदर है), को नुकसान नहीं पहुँचा।

क्या इजरायल को अमेरिकी मदद चाहिए?

विशेषज्ञों का कहना है कि इजरायल अकेले भूमिगत परमाणु ठिकानों को पूरी तरह नष्ट नहीं कर सकता। इसके लिए उसे अमेरिका के पास मौजूद विशेष बमों की ज़रूरत पड़ेगी जो गहराई तक हमला कर सकते हैं।

अब तक अमेरिका ने ये बम इजरायल को नहीं दिए हैं, लेकिन यह चिंता बनी हुई है कि अगर अमेरिका ज्यादा मदद करने लगा, तो युद्ध और बढ़ सकता है।

क्या ट्रम्प युद्ध में कूद सकते हैं?

ट्रम्प का इतिहास बताता है कि वे “विजेताओं” के साथ खड़े रहना पसंद करते हैं। अगर इजरायल इस संघर्ष में सफल दिखता है, तो ट्रम्प को इसमें अपनी भूमिका बढ़ाने का लालच हो सकता है।

हाल ही में अमेरिका ने अपने कुछ युद्धक जहाज और विमान मध्य पूर्व की ओर भेजे हैं। इससे अंदेशा है कि अमेरिका तैयारी कर रहा है, भले ही वो खुलकर शामिल नहीं हुआ हो।

अमेरिकी कांग्रेस की सावधानी

अमेरिकी सीनेटर टिम कैन ने एक प्रस्ताव पेश किया है कि ईरान के खिलाफ कोई भी सैन्य कार्रवाई तभी हो सकती है जब कांग्रेस उसे मंजूरी दे। यह ट्रम्प को सीधे युद्ध शुरू करने से रोकने के लिए है।

कूटनीति बनाम युद्ध

पूर्व राष्ट्रपति ओबामा ने 2015 में ईरान के साथ एक समझौता किया था (JCPOA), जिससे ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाई गई थी। लेकिन ट्रम्प ने 2018 में इस समझौते को खत्म कर दिया, जिससे तनाव और बढ़ा।

इसके बाद ईरान ने धीरे-धीरे यूरेनियम को अधिक शुद्धता तक समृद्ध करना शुरू कर दिया। अब IAEA ने बताया है कि ईरान 83.7% तक यूरेनियम समृद्ध कर चुका है, जो काफी खतरनाक स्तर है।

शासन परिवर्तन समाधान नहीं

कुछ लोग सोचते हैं कि ईरान में सरकार बदल देने से समस्या हल हो जाएगी, लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि ये पक्का नहीं है। अगर कोई नई सरकार आए भी, तो वो भी परमाणु हथियार बना सकती है। लोकतंत्र भी ऐसा निर्णय ले सकता है।

ट्रम्प के बयानों से साफ नहीं हो रहा कि अमेरिका शांति चाहता है या युद्ध। इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष गहरा रहा है, और अमेरिका की भूमिका इस पूरे मामले में बहुत अहम बनती जा रही है। अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि क्या कूटनीति काम करेगी, या मामला और बिगड़ेगा।

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