कन्नड़ की प्रसिद्ध लेखिका, कार्यकर्ता और वकील बानू मुश्ताक की लघु कहानी संग्रह हार्ट लैंप को 2025 के प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की अंतिम सूची में शामिल किया गया है। यह कृति मूल रूप से कन्नड़ भाषा में लिखी गई थी और उसका अंग्रेज़ी अनुवाद हाल ही में प्रकाशित हुआ है।
यह पहली बार है जब किसी कन्नड़ साहित्यिक कृति ने इस पुरस्कार की शॉर्टलिस्ट में जगह बनाई है। इस पुरस्कार के तहत कुल £50,000 (लगभग 52 लाख रुपये) की राशि प्रदान की जाती है, जिसे लेखक और अनुवादक के बीच बराबर बांटा जाता है।
हसन निवासी बानू मुश्ताक ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए अपनी खुशी साझा की। उन्होंने कहा,
“इस तरह के वैश्विक मंच पर एक कन्नड़ पुस्तक को देखकर मुझे बेहद खुशी हो रही है। यह एक ऐतिहासिक क्षण है।”
मुश्ताक ने बताया कि उन्हें सबसे पहले इस नामांकन की खबर उनके बच्चों ने दी, और बाद में उनके प्रकाशक ने भी इसकी पुष्टि की।
यह नामांकन न सिर्फ बानू मुश्ताक के लिए, बल्कि पूरे कन्नड़ साहित्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इससे न केवल क्षेत्रीय भाषाओं के साहित्य को वैश्विक पहचान मिल रही है, बल्कि यह उन अनसुनी आवाज़ों को भी सामने ला रहा है जो अब तक सीमित दायरे में थीं।
हार्ट लैंप की इस उपलब्धि ने कन्नड़ साहित्य को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक नई ऊंचाई प्रदान की है।