Saturday, June 14, 2025

ऑपरेशन सिंदूर: मोदी सिद्धांत की निर्णायक स्थापना

ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य इतिहास में एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में दर्ज हो चुका है। यह सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं, बल्कि वैश्विक आतंकवाद पर निर्णायक प्रहार करने वाला एक सशक्त संदेश था। इसने यह स्पष्ट कर दिया कि नया भारत अब आतंकवाद के खिलाफ सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं देता, बल्कि रणनीतिक रूप से उसे जड़ से खत्म करने की क्षमता और इच्छाशक्ति रखता है। यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश और रक्षा नीति की वह अभिव्यक्ति है, जिसे अब ‘मोदी सिद्धांत’ कहा जा रहा है।

जहां अमेरिका ने 2011 में ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए ऑपरेशन नेप्च्यून स्पीयर के तहत सिर्फ एबटाबाद के एक सीमित परिसर को निशाना बनाया था, वहीं भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा अंजाम दिया गया ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान की सीमा के भीतर, गहराई तक जाकर किया गया हमला था। यह केवल नियंत्रण रेखा या अंतरराष्ट्रीय सीमा तक सीमित नहीं था, बल्कि एक परमाणु संपन्न देश के केंद्र में घुसकर आतंक के अड्डों को ध्वस्त करने वाला साहसिक और सफल प्रयास था।

नेहरू से मोदी तक: नीति में बदलाव

भारत की पाकिस्तान-नीति का स्वरूप समय के साथ बहुत बदल चुका है। 1947 में पाकिस्तान समर्थित कबायली हमले के बाद, पंडित नेहरू ने कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाकर उसे अंतरराष्ट्रीय बना दिया। 1971 में पाकिस्तान के विरुद्ध भारत की निर्णायक सैन्य जीत के बावजूद, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शिमला समझौते में 93,000 पाकिस्तानी युद्धबंदियों को बिना किसी रणनीतिक लाभ के रिहा कर दिया। यहाँ तक कि 1974 में उन्होंने भारत की परमाणु तकनीक पाकिस्तान के साथ साझा करने की भी पेशकश की थी।

2008 के मुंबई आतंकी हमलों में 166 निर्दोष नागरिक मारे गए, लेकिन कांग्रेस की यूपीए सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कोई प्रभावशाली कदम नहीं उठाया। न ही पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस लिया गया। यह कार्य प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 में पुलवामा हमले के बाद किया।

मोदी सिद्धांत: निर्णायक, मुखर और सख्त

अगर कांग्रेस सरकारों की नीति को ‘अमन की आशा’ कहा जाए, तो मोदी सरकार की नीति को ‘ब्रह्मोस की भाषा’ कहा जा सकता है। मोदी सिद्धांत का आधार यह है कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए सिर्फ बयानबाजी नहीं, बल्कि साहसी, निर्णायक और ठोस कार्रवाई जरूरी है।

2016 में उरी हमले के बाद भारत ने नियंत्रण रेखा पार कर आतंकियों के लॉन्च पैड तबाह किए और लगभग 50 आतंकियों को मार गिराया। 2019 में पुलवामा हमले के जवाब में बालाकोट में हवाई हमलों के ज़रिए 300 से ज्यादा आतंकवादियों को मारा गया।

ऑपरेशन सिंदूर: एक नया मानक

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के महज़ 15 दिन बाद ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया गया। यह एक समन्वित और बहुआयामी सैन्य कार्रवाई थी, जिसमें 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया गया। इस ऑपरेशन की सबसे खास बात थी इसका व्यापक दायरा और रणनीतिक स्पष्टता।

भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान के भीतर घुसकर आतंकवाद के अड्डों को नष्ट किया, बल्कि पाकिस्तान के 11 सैन्य एयरबेस भी ध्वस्त कर दिए। साथ ही वैश्विक आतंकवाद के 9 केंद्रों को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया।

इतना ही नहीं, भारत ने पहली बार 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया। इस निर्णय का पाकिस्तान पर जबरदस्त प्रभाव पड़ा, क्योंकि उसकी 237 मिलियन आबादी और एक चौथाई जीडीपी इस नदी प्रणाली पर निर्भर है। पाकिस्तान अब इस संधि को लेकर भारत से बातचीत की गुहार लगा रहा है।

भारत की बढ़ती शक्ति और वैश्विक मान्यता

2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने थे, भारत दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। आज भारत चौथे स्थान पर है और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन चुका है। दूसरी तरफ, पाकिस्तान आर्थिक संकट की गहराइयों में डूबता जा रहा है।

ऑपरेशन सिंदूर को दुनियाभर में सराहा गया है। यह केवल एक सैन्य अभियान नहीं, बल्कि एक रणनीतिक परिवर्तन है, जिसने भारत की विदेश और रक्षा नीति में नया मानक स्थापित किया है।

ऑपरेशन सिंदूर केवल पाकिस्तान के खिलाफ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि मोदी सिद्धांत की जीवंत अभिव्यक्ति है — जहां भारत आतंकवाद का जवाब अब सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि ठोस, निर्णायक और वैश्विक प्रभाव पैदा करने वाली कार्रवाई से देता है। यह नया भारत है, जो न सिर्फ अपनी सीमाओं की रक्षा करता है, बल्कि आतंक की जड़ों को भी नष्ट करने में सक्षम है। मोदी सिद्धांत अब सिर्फ एक विचार नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा नीति की आधारशिला बन चुका है — और यह यहीं रहने वाला है।

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