महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण को लेकर मची खलबली नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि तक जारी रही। राज्य की 288 सीटों पर 20 नवंबर को चुनाव होंगे। सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने 25 बागी उम्मीदवारों को नामांकन वापस लेने के लिए मना लिया है, लेकिन अब भी 18 उम्मीदवार मैदान में हैं। इन 18 में से 9 भाजपा के, 6 शिवसेना के और 3 राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के हैं। भाजपा 148 सीटों पर, शिवसेना 83 सीटों पर और एनसीपी 54 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
वहीं, विपक्षी महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) ने भी 20 बागी उम्मीदवारों को नामांकन वापस लेने के लिए राजी कर लिया, लेकिन 22 बागी उम्मीदवार अभी भी चुनावी मैदान में हैं। एमवीए में कांग्रेस 103 सीटों पर, शिवसेना (यूबीटी) 94 सीटों पर, और एनसीपी (एसपी) 87 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। बचे हुए बागी उम्मीदवारों में 7 कांग्रेस के, 11 शिवसेना (यूबीटी) के और 4 एनसीपी (एसपी) के हैं।
मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल ने चुनाव पर एक अहम घोषणा की, जिसमें उन्होंने कहा कि वह कोई उम्मीदवार नहीं उतारेंगे। पहले उन्होंने मराठा समुदाय के लिए एक दर्जन स्वतंत्र उम्मीदवारों का समर्थन करने की बात कही थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपना रुख बदल दिया। उनका कहना है कि चुनाव किसी एक जाति के नाम पर नहीं लड़ा जा सकता और समुदाय को ही यह तय करने देना चाहिए कि किसे चुनना है।
इस बार टिकट वितरण में इतनी कड़ी प्रतिस्पर्धा रही कि सभी दलों के नेता दिवाली के दौरान भी बागियों को मनाने में जुटे रहे। भाजपा के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उनकी पार्टी के अधिकांश बागियों ने नामांकन वापस ले लिया है और अब केवल कुछ ही बचे हैं। महायुति गठबंधन के सभी दल अब अपने आधिकारिक उम्मीदवारों का ही प्रचार करेंगे।
मुंबई के माहिम निर्वाचन क्षेत्र में भी विवाद बना हुआ है, जहां शिवसेना का उम्मीदवार सदा सरवणकर अपने स्थान पर राज ठाकरे के बेटे अमित को टिकट देने से इनकार कर रहे हैं। इससे राज ठाकरे ने शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे पर निशाना साधा है।
मानखुर्द-शिवाजी नगर निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा ने एनसीपी नेता नवाब मलिक का समर्थन करने से मना कर दिया है और शिवसेना के उम्मीदवार का समर्थन करने का ऐलान किया है। एमवीए गठबंधन के भीतर कई सीटों पर समझौता नहीं हो पाया है। समाजवादी पार्टी (सपा) ने घोषणा की है कि वह छह सीटों पर “दोस्ताना मुकाबला” करेगी, क्योंकि उन्हें केवल दो सीटें दी गई थीं।
एमवीए के भीतर यह विवाद चुनावी माहौल को और पेचीदा बना रहा है।