Saturday, March 15, 2025

उत्तराखंड में वन निधि का इस्तेमाल i-Phone, लैपटॉप खरीदने में

केंद्रीय ऑडिट रिपोर्ट में उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं, जिनमें वन संरक्षण के लिए निर्धारित निधि का दुरुपयोग शामिल है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की वित्तीय वर्ष 2021-22 की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वन एवं स्वास्थ्य विभाग तथा श्रमिक कल्याण बोर्ड ने बिना उचित योजना और अनुमति के सार्वजनिक धन खर्च किया।

श्रमिक कल्याण बोर्ड ने बिना अनुमति खर्च किए 607 करोड़ रुपये

CAG की रिपोर्ट के अनुसार, श्रमिक कल्याण बोर्ड ने 2017 से 2021 के बीच सरकार की अनुमति के बिना 607 करोड़ रुपये खर्च किए। इसके अलावा, वन भूमि के हस्तांतरण के नियमों का भी उल्लंघन किया गया।

वन निधि से आईफोन, लैपटॉप और अन्य सामान की खरीद

रिपोर्ट में बताया गया कि प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA), जिसे वन भूमि के डायवर्जन से होने वाले प्रभावों को कम करने के लिए स्थापित किया गया था, से 14 करोड़ रुपये की राशि अन्य गैर-वन्य गतिविधियों पर खर्च की गई।

इन निधियों का उपयोग आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज, कूलर और ऑफिस डेकोर आइटम खरीदने के अलावा इमारतों के जीर्णोद्धार और अदालती मामलों के भुगतान के लिए किया गया। यह स्पष्ट रूप से निर्धारित नियमों का उल्लंघन है।

प्रतिपूरक वनीकरण में देरी और नियमों की अनदेखी

CAMPA के दिशा-निर्देशों के अनुसार, निधि मिलने के एक या दो साल के भीतर वनरोपण किया जाना चाहिए। हालांकि, रिपोर्ट में पाया गया कि 37 मामलों में प्रतिपूरक वनरोपण करने में आठ साल से अधिक का समय लग गया।

CAG रिपोर्ट ने CAMPA योजना के तहत भूमि चयन में गड़बड़ी को भी उजागर किया है।

वन भूमि हस्तांतरण नियमों का उल्लंघन

रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने सड़क, बिजली लाइन, जल आपूर्ति, रेलवे और ऑफ-रोड लाइनों जैसे गैर-वन्य उपयोग के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। हालांकि, प्रभागीय वन अधिकारी (DFO) की अनुमति आवश्यक थी।

लेकिन 2014 से 2022 के बीच 52 मामलों में DFO की अनुमति के बिना ही कार्य शुरू कर दिया गया, जो नियमों का उल्लंघन है।

लगाए गए पेड़ों की कम जीवित रहने की दर

CAG रिपोर्ट में प्रतिपूरक वनीकरण के प्रभाव पर भी सवाल उठाए गए हैं। 2017-22 के दौरान लगाए गए पेड़ों की जीवित रहने की दर मात्र 33% पाई गई, जो वन अनुसंधान संस्थान द्वारा निर्धारित 60-65% के मानक से काफी कम है।

सरकारी अस्पतालों में एक्सपायर दवाओं का स्टॉक

रिपोर्ट में स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही को भी उजागर किया गया। कम से कम तीन सरकारी अस्पतालों में 34 प्रकार की एक्सपायर हो चुकी दवाओं का स्टॉक पाया गया। इनमें से कुछ दवाएं दो साल पहले ही एक्सपायर हो चुकी थीं।

उत्तराखंड में सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की भारी कमी

CAG रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 70% और मैदानी इलाकों में 50% पद खाली हैं। रिपोर्ट में नए नियम बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है।

इसके अलावा, लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने के बावजूद 250 डॉक्टरों को कार्य जारी रखने की अनुमति दी गई थी।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और सरकार की कार्रवाई

CAG रिपोर्ट के निष्कर्षों का उपयोग विपक्षी कांग्रेस ने सरकार पर सार्वजनिक धन की बर्बादी का आरोप लगाने के लिए किया है।

वहीं, उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा है कि उन्होंने अपने विभाग से संबंधित मामलों की जांच के आदेश दिए हैं।

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