अगर आप अमेरिका में छुट्टियाँ मनाने की योजना बना रहे हैं, तो अपनी जेब पर थोड़ा अतिरिक्त बोझ पड़ने के लिए तैयार रहें। विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं – अमेरिका और चीन – के बीच चल रहे व्यापार युद्ध ने एक नया मोड़ ले लिया है। अमेरिका ने चीन से आयातित वस्तुओं पर 245% तक का टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिसका असर सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यात्रा और पर्यटन जैसे क्षेत्रों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना है।
टैरिफ लगाने के पीछे कारण
अमेरिकी सरकार ने यह कदम चीन की कथित “प्रतिशोधी व्यापार नीतियों” और अमेरिकी कंपनियों पर लगाए गए अनुचित प्रतिबंधों के जवाब में उठाया है। व्हाइट हाउस की ओर से जारी एक तथ्य पत्रक के अनुसार, यह टैरिफ इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), सौर पैनलों, स्टील, एल्युमिनियम, और उन्नत बैटरियों जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित होगा।
उदाहरण के तौर पर:
- चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैरिफ 25% से बढ़ाकर 100% कर दिया गया है।
- लिथियम-आयन बैटरियों और उनके पार्ट्स पर शुल्क 7.5% से बढ़ाकर 25% किया गया है।
- कुछ सौर सेल पर शुल्क अब 50% तक पहुंच सकता है।
बिडेन प्रशासन ने इस नीति को चीन के साथ बढ़ते तकनीकी और व्यापारिक संघर्ष का एक हिस्सा बताया है।
शुल्क बढ़ने का प्रभाव
यह टैरिफ नीति चीन की उन कार्रवाइयों के जवाब में है जिनमें उसने अपनी एयरलाइनों को अमेरिकी बोइंग विमानों के ऑर्डर रोकने का आदेश दिया। अमेरिका ने इस व्यापार नीति को राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बताते हुए उचित ठहराया है।
यात्रियों पर पड़ने वाले असर
हालांकि ये टैरिफ सीधे तौर पर यात्रियों पर नहीं लगाए गए हैं, लेकिन इसके अप्रत्यक्ष प्रभाव कई तरीकों से महसूस किए जा सकते हैं:
1. हवाई यात्रा महंगी हो सकती है:
अगर चीन बोइंग विमानों के ऑर्डर रोकता है, तो इससे विमान निर्माण में रुकावट आ सकती है, जिससे विमान उपलब्धता घटेगी और हवाई किराए बढ़ सकते हैं।
2. होटल और आवास लागत में बढ़ोतरी:
आयातित सामान की महंगी लागत होटल इंडस्ट्री की ऑपरेशनल कॉस्ट बढ़ा सकती है, जिसका असर सीधे कमरे के किराए पर पड़ सकता है।
3. रोजमर्रा की चीज़ों पर असर:
इलेक्ट्रॉनिक्स, फूड, और अन्य उपभोक्ता वस्तुएं जो यात्रा के दौरान उपयोग में आती हैं, उनकी कीमतें बढ़ सकती हैं क्योंकि कंपनियाँ बढ़ती लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर डालेंगी।
आर्थिक प्रभाव
इन टैरिफों का असर केवल यात्रियों पर नहीं, बल्कि अमेरिका की पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। जो कंपनियाँ चीन से आयात पर निर्भर हैं, उनकी लागतें बढ़ जाएँगी, जिससे उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं। इसके साथ ही नौकरियों पर खतरा मंडरा सकता है और आर्थिक विकास धीमा पड़ सकता है। अर्थशास्त्री पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि यह कदम मुद्रास्फीति को और बढ़ावा दे सकता है।
भले ही ये टैरिफ मुख्यतः व्यापारिक उद्देश्यों से लगाए गए हों, लेकिन इनके असर से आम यात्री भी अछूता नहीं रहेगा। यदि आप निकट भविष्य में अमेरिका की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो संभावित लागतों में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए अपनी योजना बनाना समझदारी होगी।